Published on 26 January, 2013
चोरों ने तो दिल्ली में कमाल ही कर दिया। गीता कालोनी फ्लाइओवर बनने के बाद लोहे के पंटून पुल का प्रयोग बंद हो गया था। दिल्ली सरकार ने इसे उत्तर प्रदेश को देने का मन बनाया था लेकिन इसकी बिक्री नहीं हुई थी। चोरों ने इस लोहे के पुल को ही उड़ा लिया है। दिल्ली में ऐसे 42 बंकर थे और इनकी लम्बाई करीब 20 फुट है। इनमें पक्का लोहा इस्तेमाल किया गया है। जांच की जा रही है कि मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने में भी देरी की है। यह माना जा रहा है कि जिस तरीके से काम हुआ उससे लगता है कि इस मामले में विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत है। यमुना नदी का पंटून पुल चुराने वालों को अन्दर की खबर रही होगी। पुल चुराने के लिए मुख्य अभियंता कार्यालय के फर्जी कागजात का प्रयोग किया गया था। इन कागजातों में किसी भी सरकारी फाइल के लिए जरूरी सभी प्रक्रिया को पूरा किया गया था, इसमें फाइल को भेजने के लिए प्रयोग किए जाने वाले नम्बर का प्रयोग किया गया है। इस प्रकरण में अब शक की सुई लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की तरफ है। पंटून पुल मामले की जांच में जुटी पुलिस का कहना है कि यह फर्जीवाड़े का खेल किसी कबाड़ी का नहीं है बल्कि चार से पांच लोगों की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया गया है। कबाड़ी से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस उससे जुड़े लोगों की तलाश में दिल्ली-एनसीआर में छापेमारी कर रही है। गिरफ्तार आरोपी प्रवीण ने यह भी खुलासा किया है कि उसे एक शख्स ने कागजात का हवाला देते हुए यह कहा था कि उसने यह खरीद लिया है। इसके बाद उसने प्रवीण से सौदा किया था। प्रवीण से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस उस शख्स की तलाश कर रही है। सवाल यह भी उठता है कि इस चोरी में स्थानीय पुलिसकर्मियों की क्या भूमिका है? क्या पुल की काली कमाई में माल की बंदरबांट का हिस्सा स्थानीय पुलिस को भी जाना था? सूत्रों के मुताबिक पंटून पुल को ठिकाने लगाने का काम पिछले एक माह से चल रहा था। बताया जा रहा है कि जिस दिन कबाड़ी की जेसीबी मशीनें और कटर यमुना किनारे पहुंचे थे उसी दिन गीता कालोनी पुलिस को इसकी भनक लग गई थी। थाने के बीट वाले और पेट्रोलिंग स्टाफ ने इन मशीनों के मालिक यानी कबाड़ी से मिलाने की बात वहीं मौजूदा मजदूरों और उसके ठेकेदार से की थी और इस दिन काम बंद भी करवा दिया था। कहा जा रहा है कि अगले दिन बीट वालों ने कबाड़ी प्रवीण से यमुना किनारे मुलाकात की और कबाड़ी ने पुल खरीदे जाने के फर्जी कागजात बीट वालों को दिखाने के बाद पुलिस वालों को पटा लिया। मतलब साफ है। इसके बाद गीता कालोनी थाने के बीट वालों ने काम जारी रखने की इजाजत दी। पुलिस और कबाड़ी के इस खेल में थाना पुलिस के अलावा पीसीआर और पेट्रोलिंग स्टाफ भी शामिल था। यही कारण है कि पुलिस ने पुल काटने के लिए पीडब्ल्यूडी के फर्जी वर्प आर्डर के बारे में किसी तरह की छानबीन नहीं की। जैसा मैंने कहा चोरों ने तो कमाल कर दिया। ऐसी चोरी की शायद ही किसी ने कल्पना की हो।
No comments:
Post a Comment