Published on 8 January, 2013
यह हमारे समाज को क्या होता जा रहा है। न मर्यादाओं का पालन, न अनुशासन और न ही हिंसात्मक प्रवृत्ति कुछ भी तो नहीं थम रहा। पिछले कुछ दिनों से बलात्कारों की बाढ़-सी आ गई है। वर्दी व कानून का खौफ तो खत्म ही हो गया है। सारे देश में वसंत विहार गैंगरेप पर चर्चा, प्रदर्शन हो रहे हैं और यह बलात्कार का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। दिल्ली में हुई दरिन्दगी के मामले में अभी न्याय प्रक्रिया ने काम शुरू ही किया है कि सटे नोएडा में एक दलित युवती को अगवा कर उसके साथ दुराचार और हत्या का मामला सामने आया है। नोएडा स्थित कम्पनी में ड्यटी के बाद शुक्रवार को यह युवती घर लौट रही थी अगले दिन यानि शनिवार को सुबह घर के पास उसका अर्धनग्न शव झाड़ियों में मिला। शरीर पर नाखूनों से खरोंचों के निशान मिले। युवती के पिता ने दुष्कर्म के बाद हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई है। इससे पहले पुलिस ने दुष्कर्म का मामला पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही दर्ज कराने की बात कही थी, लेकिन सांसद व जनाक्रोश के चलते उसे दुष्कर्म की धारा में दर्ज करना पड़ा। मृतक युवती 21 साल की थी। मृतक युवती के प्राइवेट पार्ट में काफी चोट पाई गई। डाक्टरों के मुताबिक युवती की मौत दम घुटने से हुई है, जिसका एक कारण गला दबाना भी हो सकता है। उत्तर प्रदेश में तो कानून व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है। पीलीभीत में खेत पर बथुआ बीनने गई किशोरी को गन्ने के खेत में खींचकर एक युवक ने बलात्कार किया। दरिन्दगी की इस शर्मनाक वारदात में मददगार बना एक पूर्व प्रधान। इस शर्मनाक कृत्य के दौरान पूर्व प्रधान तमंचा ताने पहरा देता रहा। जहानाबाद क्षेत्र की 13 वर्षीया किशोरी शुक्रवार दोपहर बाद बथुआ बीनने खेत में गई थी। आरोप है कि तभी गांव शिवपुरिया के पूर्व प्रधान राम कुमार और उसी गांव का अनिल कुमार वहां पहुंचा। पूर्व प्रधान ने तमंचा दिखाते हुए किशोरी को रोका और शोर मचाने पर जान से मार देने की धमकी दी। इसके बाद अनिल ने किशोरी को गन्ने के खेत में खींचकर बलात्कार किया, जबकि पूर्व प्रधान तमंचा लेकर पहरा देता रहा। दरिन्दों के चंगुल से मुक्त होने के बाद किशोरी ने शोर मचाया और आसपास के खेत पर मौजूद लोग मौके पर आ गए। उत्तर प्रदेश में सिरफिरे मनचलों ने महिलाओं की जिन्दगी को नरक बना दिया है। जरा यह आंकड़े देखिए। यूपी में प्रतिदिन 300 महिलाएं छेड़छाड़ की शिकार होती हैं। पुलिस ने अपनी वेबसाइट पर यह सच स्वीकार किया है। इस जानकारी से हैरानी बढ़ जाती है कि लोक-लाज के डर से महिलाएं एफआईआर दर्ज कराने से बचती हैं। यूपी पुलिस की वेबसाइट पर महिलाओं के लिए 15 नवम्बर 2012 को शुरू की गई हेल्पलाइन (1090) के बारे में भी जानकारी दी गई है। इस टेलीफोन सेवा पर एक जनवरी 2013 तक 61 हजार महिलाओं ने सहायता मांगी। इनमें 14 हजार से अधिक मामले छेड़छाड़ और फब्तियां कसने के निकले। इनमें से 10 हजार मामले दर्ज किए गए। इन महिलाओं ने फोन पर तो शिकायत की लेकिन संबंधित थानों में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई। जब महिलाओं पर बढ़ते अपराध के बारे में उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बलात्कार के मामलों में ढिलाई बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह भी कहा कि पीड़ितों के परिजनों को मदद दी जाएगी। कानून व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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