Saturday 19 January 2013

दामिनी की कुर्बानी व्यर्थ नहीं थी, धीरे-धीरे परिवर्तन होने लगा है


 Published on 19 January, 2013
 अनिल नरेन्द्र
16 दिसम्बर की रात को बसंत विहार क्षेत्र में अभागी दामिनी उर्प अनामिका की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाने  दी जाएगी यह संकल्प करोड़ों भारतवासियों ने उस दिन लिया था। एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है, कड़ाके की ठंड में, बारिश में, ओलों के बीच आज भी जन्तर-मन्तर पर इंसाफ के लिए लौ जल रही है। पूरा देश इन बहादुर नौजवानों को सलाम करता है। इन्होंने पुलिस के डंडे खाए, वॉटर कैनन झेली, गिरफ्तारियां दीं पर इनका मनोबल नहीं गिरा। प्रदर्शनकारियों की संख्या बेशक कम हो गई है लेकिन एक महीने बाद भी इनका हौसला बुलंद है। जन्तर-मन्तर पर 22 दिसम्बर से लगातार प्रदर्शन करने वाले युवाओं का कहना है कि हमारे भीतर कितना आक्रोश है। जब तक सिस्टम नहीं  बदलता तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। छात्र सुधांशु ने बताया कि हम एक-दूसरे को नहीं जानते लेकिन पीड़िता का दर्द और पुलिस की हिंसा हमें यहां खींच लाती है। जब तक कानून नहीं बनेगा तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। पिछले एक महीने में जो परिवर्तन या बदलाव आया है वह सही दिशा में सही कदम है। राजधानी में पांच फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना हो चुकी है। एक फास्ट ट्रैक अदालत ने तो दो वर्ष पूर्व तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले का महज 10 दिन में निपटारा करके दोषी 60 वर्षीय भरत सिंह को फांसी की सजा भी सुना दी है। हम जज विरेन्द्र भट्ट को बधाई देना चाहते हैं। अब पुलिस शिकायत मिलने पर तुरन्त एफआईआर दर्ज करने लगी है। महिलाओं से हुई किसी भी अप्रिय घटना की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी जाने लगी है। सभी 180 पुलिस थानों में 24 घंटे महिला हेल्प डेस्क पर दो महिला पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए हैं। पुलिस उपायुक्त स्तर के अधिकारियों को देर रात सड़कों पर गश्त करने के लिए कहा गया है। राजधानी के हर हिस्से में बेरीकेट लगाकर वाहनों की गहन जांच के आदेश दिए गए। सीमा विवाद को लेकर झगड़ने वाले पुलिसकर्मी, खासकर पीसीआर वैन को सख्त निर्देश और स्कूल-कॉलेजों और स्टैंड पर सादी वर्दी में पुलिसकर्मियों की तैनाती के आदेश दिए गए। काली फिल्म लगाकर वाहन चला रहे चालकों पर दिल्ली पुलिस सख्ती से कार्रवाई करती दिखी। एक अच्छा परिवर्तन यह हुआ है कि सभी सरकारी अस्पतालों के आपातकालीन विभाग और वहां के चिकित्सकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि पहले पीड़ित का इलाज किया जाना चाहिए और बाद में कागजी कार्रवाई। निर्देश का पालन नहीं होने पर चिकित्सक पर कार्रवाई होगी। सरकार का सबसे ज्यादा जोर पीड़ित महिलाओं की सुनवाई के लिए उचित सिस्टम बनाने और दोषियों को जल्द सजा दिलाने पर रहा। इसके लिए एक हेल्प लाइन सेवा शुरू की गई है। इसे सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से जोड़ा गया है। पीड़ित महिला सीधे मुख्यमंत्री से फरियाद कर सकती है। देर रात चलने वाली बसों की संख्या बढ़ाने के साथ इनमें होमगार्ड की तैनाती की गई है। ऑटो और टैक्सी, टैम्पो की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने भी सख्त अभियान शुरू किया हुआ है। जनता की मानसिकता बदलने में समय लगेगा। बेशक जो प्रशासनिक कदम उठाए गए हैं वह परफैक्ट नहीं हुए पर सही दिशा में सही कदम है। यह सब दामिनी की कुर्बानी की वजह से और जन्तर-मन्तर जैसी जगहों पर पूरे देश में आए आक्रोश के कारण ही सम्भव हुए हैं। अभी रास्ता लम्बा है डटे रहो।

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