Sunday 13 January 2013

सरकार बेशक बर्बर कृत्य को तूल न देना चाहे पर सेना में विद्रोह की स्थिति बन रही है


 Published on 13 January, 2013
अनिल नरेन्द्र
पाकिस्तान यह बात अच्छी तरह जानता है कि भारत सरकार में कोई दम नहीं है। वह कुछ भी कर ले यह यूपीए सरकार मामले को रफा-दफा करने में जुट जाएगी। संघर्ष विराम की अनदेखी और नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर पाकिस्तानी सेना ने पहले बर्बरता की हद पार की और अब इस्लामाबाद न सिर्प उस घटना से पल्ला झाड़ने की कोशिश में लगा है बल्कि संयुक्त राष्ट्र से जांच कराने का दांव चलकर मामले के अंतर्राष्ट्रीयकरण की पुरानी आदत का भी परिचय दे रहा है। पाकिस्तान के साथ क्रिकेट श्रृंखला खत्म होने के तत्काल बाद और वीजा नीति को व्यापक और आसान बनाने की पृष्ठभूमि में सीमा पार से हुई यह बर्बरता बेशक नई नहीं है, इससे पहले दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू करने के बाद कारगिल हुआ था। बेशक भारत सरकार इस घटना को ज्यादा तूल देने के हक में न हो पर सेना में अपने साथियों के सिर कलम करने की घटना ने भारी रिएक्शन पैदा किया है। पाक सेना द्वारा अपने दो साथियों के सिर काटने के मामले के बाद राजपूताना राइफल्स के एक हजार जवानों ने उस दिन से खाना-पीना छोड़ दिया है। वे भारी गुस्से में हैं। यूनिट के कमांडिंग अफसर ने इन गुस्साए जवानों को समझाने की काफी कोशिश की। इन्हें यह भी भरोसा दिलाया कि भारतीय सेना भी पाकिस्तान की इस कूरता का मुकम्मल जवाब देगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस गम्भीर स्थिति को देखकर सेना के दो लेफ्टिनेंट जनरलों को मनुहार के लिए भेजा गया है। भारतीय सेना अपने अनुशासन के लिए दुनियाभर में जानी जाती है। लेकिन अब उसके जवानों का धैर्य भी टूटने लगा है। सरकार को इस मामले को अत्यंत गम्भीरता से देखना होगा। कहीं ऐसा न हो कि फौजी कमांडर बिना सरकार की इजाजत लेकर कोई सख्त जवाबी कार्रवाई खुद ही कर डालें? सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल वीके सिंह का भी मानना है कि सेना के इतिहास में यह बड़ा गम्भीर और संवेदनशील मामला हो गया है। जरूरत इस बात की है कि सेना के जवानों का टूटा भरोसा और मनोबल फिर से जोड़ा जाए, बढ़ाया जाए। इसके लिए जरूरी है कि भारत सरकार अब पाकिस्तानी रवैए के खिलाफ ढुलमुल रणनीति को तुरन्त बदले। इस ढुलमुल नीति का ही नतीजा है कि पश्चाताप तो दूर की बात रही पाकिस्तानी वरिष्ठ सैन्य अफसर हत्यारे मुजाहिद रेजिमेंट की पीठ ठोंक रहे हैं। जम्मू में मेंढर क्षेत्र में घुसकर बर्बर कृत्य करने वाले 653 मुजाहिद रेजिमेंट के फौजियों के आला अफसरों ने शाबाशी दी और कहा, `उम्दा, उम्दा।' पाक फौज के दूसरे रेजिमेंटों ने भी उन्हें बधाई दी है। यह खुलासा तब हुआ जब भारतीय सैन्य खुफिया ब्यूरो (एमआईबी) के फोन इंटरसेप्ट करने से इसका खुलासा हुआ। एमआईबी की रिपोर्ट फोन इंटरसेप्ट के जरिए उनकी बातचीत से यह खुलासा भी करती है कि शहीद लांस नायक हेमराज और सुधाकर सिंह की मौत की खबर जैसे ही मीडिया में आई, पाकिस्तानी फौज की तमाम रेजिमेंटों से 653 मुजाहिद रेजिमेंट की टुकड़ी को शाबाशी संदेश मिलने शुरू हो गए। पाकिस्तान अपने चिर-परिचित अंदाज में इस बर्बर घटना से न  सिर्प पल्ला झाड़ रहा है  बल्कि अपनी सैन्य टुकड़ियों को बेकसूर बता रहा है। यह भी दावा किया जा रहा है कि पहले हमला भारतीय फौज ने किया। पहला हमला किसी ने भी किया हो पर आपको सिर कलम करने की छूट किस जंग में मिलती है।

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