Tuesday 8 January 2013

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पप्पू भाजपा अध्यक्ष की तलाश


 Published on 8 January, 2013
 अनिल नरेन्द्र
भाजपा में अध्यक्ष पद को लेकर किए गए संविधान संशोधन के बाद से अधिकतर बड़े राज्यों के क्षत्रपों द्वारा दूसरे कार्यकाल की चाहत भाजपा के लिए बड़ा संकट बनता जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों की मानें तो पार्टी के लिए अहम कई हिन्दी भाषी राज्यों जैसे बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल में संगठन के शीर्ष पर बैठे नेता हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें भी राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरह दूसरा कार्यकाल दे दिया जाए पर सवाल यहां यह है कि क्या यह तय हो गया है कि नितिन गडकरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए दूसरा कार्यकाल देना तय हो चुका है? पार्टी सूत्रों का कहना है कि उत्तरांचल के बाद ही नया अध्यक्ष तय होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति से सूर्यदेव के उत्तर दिशा में प्रवेश करने के बाद ही शुभ कार्य शुरू होते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा इसी दिन का इंतजार कर रही है। वैसे अभी तक के प्राप्त संकेतों से लगता है कि भाजपा नेतृत्व या संघ नेतृत्व को अध्यक्ष के लिए नितिन गडकरी का विकल्प नहीं मिल पा रहा है। भाजपा पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संघ ने `पप्पू' अध्यक्ष की तलाश शुरू कर दी है। संघ की दिक्कत यह है कि वह जिन पार्टी नेताओं को सबसे ज्यादा पसंद कर रहा है वे खुद इसे लेने को तैयार नहीं है। संघ किसी भी कीमत पर दिल्ली फोरम या जिसे डी-4 कहा जाता है, में से किसी को यह पद सौंपना नहीं चाहता। वैसे तो संघ की पहली पसंद मौजूदा अध्यक्ष नितिन गडकरी ही हैं। लेकिन अगर हालात माकूल नजर नहीं आए तो वह जिन नामों पर विचार कर रहे हैं उनमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह, शांता कुमार शामिल हैं। सुषमा स्वराज का नाम भी लिया जा रहा है। भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता के अनुसार वास्तव में संघ को एक `पप्पू' अध्यक्ष की तलाश है जो सिर्प उसके एजेंडे को लागू कर सके। उसे कभी आंखें न दिखाए व उस पर आंख मूंद कर भरोसा किया जा सके। इस कसौटी पर कम ही नेता उतरेंगे। लोकसभा में कई दिग्गज हैं जो अपने आपको अध्यक्ष पद के लिए योग्य मानते हैं। डॉ. मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह, अनन्त कुमार, गोपीनाथ मुंडे समेत नेताओं की लम्बी सूची है। राज्यसभा के विपक्षी नेता अरुण जेटली को लेकर मुश्किल यह है कि वहां भी उनका उत्तराधिकारी सुषमा जी की तरह चुनने के लिए मुश्किल हो जाएगी। राजनाथ सिंह पर आडवाणी कैम्प शायद ही तैयार हो। वर्तमान अध्यक्ष नितिन गडकरी का कार्यकाल 19 दिसम्बर को खत्म हो गया था लेकिन पार्टी के भीतर किसी एक व्यक्ति के नाम पर सहमति न बन पाने के कारण फिलहाल गडकरी को ही अल्प सेवा विस्तार दे दिया गया। भाजपा के लिए अगला अध्यक्ष अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि लोकसभा चुनाव समय यानि 2014 में ही होते हैं तो भी भाजपा के नए अध्यक्ष को चुनावी जंग की तैयारी के लिए मात्र डेढ़ साल मिलेगा। फिर इस साल नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले दो महीने में कर्नाटक, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और उसके बाद दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के विधानसभा चुनाव होने हैं। समय बहुत कम रह गया है और देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी यह नहीं तय कर पा रही कि पार्टी अध्यक्ष कौन होगा। उम्मीद करें कि मकर संक्रांति के तुरन्त बाद पता चले कि पार्टी की बागडोर किसके हाथ होगी?

No comments:

Post a Comment