Thursday 10 January 2013

मुस्लिमों में चार शादियों पर मौलवी और अदालत आमने-सामने


 Published on 10 January, 2013
 अनिल नरेन्द्र
इस्लाम भले ही एक की जगह चार पत्नियां रखने की इजाजत देता हो, पर किन परिस्थितियों में यह शादी होगी, इसे लेकर अदालत व मौलवियों की अलग-अलग सोच है। एक युवती से जबरन शादीशुदा व्यक्ति से निकाह कराने के मामले में आरोपी मौलवी की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए रोहिणी की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ ने कहा कि शरिया कानून एक से अधिक विवाह करने की अनुमति तो देता है, मगर विशेष परिस्थितियों में। कुरान इस तरह की पवृत्ति को बढ़ावा देने का काम नहीं करता। न्यायाधीश कामिनी लॉ ने मौलवी मुस्तफा राजा को राहत देने से इंकार करते हुए उस अपील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि शरिया कानून व्यक्ति को एक ही समय पर चार विवाह करने की अनुमति देता है। अदालत ने कहा कि भारत में शरिया कानून के तहत किसी मुस्लिम व्यक्ति को दूसरा विवाह करने की अनुमति पहली पत्नी के बीमार होने या बच्चा पैदा न कर सकने जैसी विशेष परिस्थितियों के तहत ही दी जा सकती है। ऐसे में पहली पत्नी की रजामंदी पर व्यक्ति दूसरी शादी कर सकता है। न्यायाधीश लॉ ने कहा कि बहुत से मुस्लिम देशों जैसे तुर्की और ट्यूनीशिया में एक से अधिक विवाह पर रोक लगाई जा रही है। वहां पर इसे गैरकानूनी करार दिया गया है। ऐसे में भारत जैसे गणतांत्रिक देश में इस तरह की कार्रवाई को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। पवित्र कुरान एक मुसलमान को एक समय में एक से अधिक चार तक महिलाओं से शादी की अनुमति तो देता है, लेकिन इस तरह के आचरण को पोत्साहित नहीं करता। फैसले में जस्टिस कामिनी लॉ ने कहा कि बहु विवाह पथा को केवल कुछ परिस्थितियों में ही अनुमति है जिसमें पति की मौत पर पत्नी के पास आजीविका का कोई साधन नहीं होना शामिल है। शरिया कानून का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बहु विवाह को एक सामाजिक जिम्मेदारी, धर्मार्थ उद्देश्यों या अभाव ग्रस्तता से रोकने के लिए ही अनुमति दी गई है। इसे अन्य तरीके से नहीं लिया जाना चाहिए। इस मामले में पुलिस ने शिकायत की थी कि मुस्तफा राजा नाम के एक मौलवी ने आरोपी नदीम खान की शादी करवाई। नदीम पहले से ही शादीशुदा था। इस शादी के लिए लड़की की सहमति नहीं ली गई थी। न ही उसके अभिभावक इसके लिए तैयार थे। आरोप में यह भी कहा गया कि लड़की के कथित पति ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया था। पुलिस ने कहा कि इस मामले में खान की पहली पत्नी से भी सहमति नहीं ली गई। जिससे उसके तीन बच्चे हैं। दूसरी शादी के समय पहली पत्नी को भी नहीं ले गया था। लड़की किसी तरह से खान के चुंगल से बच निकली और अपने घर पहुंचकर परिवार को इस घटना की सूचना दी। नदीम ने युवती को बंधक बनाकर रखा और उसके साथ बलात्कार किया। एक दिन जब युवती को मौका मिला तो वह भाग कर अपने घर पहुंच गई। मौलवी साहब को तब डर सताने लगा और वह अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत में अन्तिम जमानत की दरख्वास्त लेकर पहुंच गए। मुफ्ती सैयद कफील जो मदरसा मंजर ए इस्लाम, दरगाह आला हजरत, बरेली के मुफ्ती हैं, ने कहा कि शरियत मर्द को यह इख्तियार देती है कि वह चार शादियां कर सकता है लेकिन शादी का मकसद नफ्स की ख्वाहिश पूरा करना नहीं हो। अगर पहली बीबी बीमार है या उसके औलाद नहीं हो रही तो ऐसा किया जा सकता है। इसके अलावा अगर कोई ऐसी औरत जिसकी माली हालत खराब है तो उससे शादी का हुक्म है।






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