Published on 24 January, 2013
अनिल नरेन्द्र
एक अहम घटनाकम में मंगलवार को विशेष सीबीआई न्यायाधीश विनोद कुमार ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम पकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को जूनियर बेसिक ट्रेड (जेबीटी) शिक्षक भर्ती के 9 साल पुराने मामले में 10-10 साल के कारावास की सजा सुनाई। इससे पहले श्री ओम पकाश चौटाला ने अपने आपको अदालत को शारीरिक तौर पर 80 फीसदी विकलांग बताया। एक याचिका में श्री चौटाला ने कहा कि मेरी उम्र 78 की हो चुकी है और मेरा 80 फीसदी शरीर अयोग्य हो चुका है। मेरी स्थिति काफी खराब है और मैं बिना मदद के चल-फिर भी नहीं सकता। चौटाला के वकील आनंद राठी ने सोमवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार के समक्ष यह याचिका पस्तुत की। चौटाला का कहना था कि रोहताश नामक उनका एक सहायक इन सब कामों में उनकी मदद करता था और अदालत चाहे तो रोहताश को फिर से उनकी सहायता में तैनात किया जा सकता है। अदालत ने इस दलील का भी संज्ञान लिया कि वह बिना किसी सहायता के अपनी दिनचर्या के आवश्यक कार्य भी नहीं रह पाते हैं। न्यायाधीश ने तिहाड़ के जेल अधीक्षक को जेल मैन्युअल के मुताबिक इस बारे में निर्णय लेने को कहा है। यह सारा मामला आखिर है क्या? जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले को उजागर करने में अहम भूमिका तत्कालीन पाथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने निभाई थी। संजीव कुमार ने ही इस मामले में सुपीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की थी। सुपीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने पारम्भिक जांच 2003 में शुरू की। जनवरी 2004 में सीबीआई ने ओम पकाश चौटाला, उनके पुत्र अजय चौटाला, शिकायतकर्ता, संजीव कुमार सहित कुल 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सबसे ताज्जुब तो इस बात का है कि मामले को उजागर करने में अहम भूमिका निभाने वाले संजीव कुमार को भी सीबीआई ने इस मामले में आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया। सीबीआई के अनुसार संजीव कुमार भी इस घोटाले में बराबर शामिल रहे थे। सीबीआई के अनुसार अन्य लोगों से विवाद होने पर ही उन्होंने घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई। कोर्ट ने अपने फैसले में संजीव कुमार को भी दोषी ठहराया और उन्हें भी 10 साल की सजा सुनाई है। हालांकि कोर्ट ने संजीव कुमार को सजा सुनाने में थोड़ी परेशानी महसूस की। कानून व्हिसल ब्लोअर (घोटाला उजागर करने वाला) का स्वागत करता है। अगर व्हिसल ब्लोअर निर्दोष है, केवल वह परिस्थितियों का शिकार हो तो उसे अभियोजन पक्ष का गवाह बनाया जाना चाहिए। यह टिप्पणी जज विनोद कुमार ने सजा सुनाते समय की। अदालत ने कहा कि संजीव मामले में व्हिसल ब्लोअर है। ऐसे में उन्हें सजा सुनाने में परेशानी महसूस कर रहा हूं, क्योंकि इससे गलत संदेश जा सकता है कि कानून व्हिसल ब्लोअर को पोत्साहित नहीं करता है। लेकिन मौजूदा समय में ऐसा कोई कानून नहीं है। अदालत ने कहा कि संजीव कुमार अगर उच्चतम न्यायालय नहीं जाते तो यह मामला पकाश में नहीं आता। इनेलो ने जेबीटी टीचरी भर्ती मामले में सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने का निर्णय लिया है। ऐलनाबाद से इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि कॉपी मिलते ही इसे ऊपरी अदालत में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली बार होगा कि धारा 467 के अंतर्गत किसी को दस साल की सजा सुनाई गई हो। मुख्य आरोपियों को चार साल और ओम पकाश चौटाला को धारा 120 वी साजिश में शामिल बताया गया, उन्हें दस साल की सजा सुना दी गई है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले में कहीं यह उल्लेख नहीं किया गया कि वे साजिश में कैसे शामिल हैं। भर्ती में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जा रहा है जबकि नौकरी पर लगाए गए 3206 शिक्षकों में से एक भी ऐसा नहीं जिसने यह कहा हो कि उसने नौकरी में कोई पैसा दिया हो। वे निराश नहीं हैं। अगर लाभ पाने वाले टीचरों में से एक ने यह नहीं कहा कि उसने भर्ती के लिए पैसा दिया तो भ्रष्टाचार हुआ है यह साबित नहीं होता। चूंकि मामला अदालत में है इसलिए टिप्पणी नहीं हो सकती। हाईकोर्ट में शायद और खुलासा हो कि भ्रष्टाचार व साजिश का मामला कैसे बनता है? यह मामला सीधा-सीधा संजीव कुमार द्वारा सुपीम कोर्ट जाने की वजह से बना। इसमें कांग्रेस की हरियाणा सरकार की कोई भूमिका पतीत तो नहीं होती।
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