Tuesday, 29 January 2013

बौखलाए नितिन गडकरी अब धमकियों पर उतरे


 Published on 29 January, 2013
 अनिल नरेन्द्र
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी आज कल बहुत गुस्से में हैं। लगता है कि उन्हें दोबारा कार्यकाल न मिलने से वह बौखला गए हैं। वैसे भी गडकरी कभी भी अपनी वाणी पर संयम के लिए नहीं जाने जाते। उनकी अमर्यादित टिप्पणियां तो बहुत होगी, कई बार उन्हें इसके लिए माफी भी मांगनी पड़ी है। दोबारा अध्यक्ष बनते-बनते रह गए गडकरी अब खुलेआम धमकियों पर उतर आए हैं। अध्यक्ष पद से मुक्त किए गए नितिन गडकरी गुरुवार को अपने घर नागपुर पहुंचे। स्टेज मैनेजमेंट इतना अच्छा था मानो वह कोई बड़ा किला फतेह करके आए हों। पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए गडकरी अपनी चिर-परिचित भाषा में बोलने लगे। उन्होंने आयकर विभाग के अधिकारियों को सबक सिखाने की धमकी दे डाली। उन्होंने कहा हमारी सरकार आने दो, मैं किसी को नहीं छोड़ूंगा। तब देखूंगा कि इन अधिकारियों को बचाने के लिए न तो चिदम्बरम आएंगे और न ही सोनिया। गडकरी ने आगे कहा मैं मर्द हूं, जब भाजपा अध्यक्ष था, तो कई मर्यादाओं का पालन करना होता था लेकिन अब मैं आजाद हूं। मेरे खिलाफ जांच कर रही आईटी विभाग की टीम में करीब आधे अधिकारी मुझसे और मेरी पार्टी से सद्भावना रखते हैं। वे मुझे अन्दर की खबर देते रहते हैं। मेरे खिलाफ जो अधिकारी साजिश रच रहे हैं मैं उनके नाम जानता हूं। कांग्रेस की नाव डूब रही है। जब हमारी पार्टी सत्ता में आएगी तब मेरे खिलाफ लगे अधिकारियों को बचाने न चिदम्बरम आएंगे और न सोनिया गांधी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में एक मालकिन है बाकी सब नौकर हैं। मुलायम और मायावती को भी सीबीआई का डर दिखाकर ब्लैकमेल किया जा रहा है। यह पहला मौका नहीं है जब गडकरी ने आयकर विभाग को ऐसी धमकी भरा संदेश दिया है। पिछले साल भी उन्होंने इसी तरह की चेतावनी दी थी, जब आयकर विभाग ने उनकी कम्पनी पूर्ति समूह में निवेश के स्रोत की जांच शुरू की थी। इस बार उनकी प्रतिक्रिया कहीं ज्यादा बौखलाहट भरी है। शायद इसलिए कि आयकर विभाग के छापों ने भाजपा के तमाम नेताओं को पुनर्विचार के लिए विवश कर दिया और उन्हें आखिरी क्षणों में बाइपास करके राजनाथ सिंह को अध्यक्ष पद सौंप दिया। सवाल यह है कि अगर गडकरी मानते हैं कि वे पाक साफ हैं तो उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए और न ही इस प्रकार की धमकियां देनी चाहिए। अगले चुनाव के बाद केंद्र में राजग सरकार बने या नहीं इतना तो तय लगता है कि गडकरी सत्ता का कैसे दुरुपयोग का इरादा रखते हैं। क्या सुशासन की भाजपा की यही परिभाषा होगी? अपने खिलाफ लगे आरोपों को निराधार ठहराया या जांच शुरू होने से पहले राजनीति या सियासी बदले की भावना से प्रेरित बताना राजनीतिज्ञों की फितरत रही है। लेकिन सत्ता में आने पर अफसरों को देख लेने की जो बात गडकरी ने कही वैसा दूसरा उदाहरण मिलना मुश्किल है। पूर्ति समूह के गोरखधंधे के बारे में अरविन्द केजरीवाल के खुलासे के कुछ समय बाद एक अंग्रेजी अखबार ने इस बाबत कुछ और जानकारियां जुटाईं और प्रकाशित की। गडकरी इन तथ्यों की कोई काट अभी तक पेश नहीं कर पाए हैं। लेकिन वह आयकर विभाग और मीडिया का मनोबल तोड़ने की कोशिश जरूर कर रहे हैं। गडकरी और भाजपा दोनों के लिए बेहतर होगा अगर नितिन गडकरी अपनी बौखलाहट पर काबू पाएं।

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