Published on 5 January, 2013
अनिल नरेन्द्र
मैं उन हजारों, लाखों लोगों को बधाई देना चाहता हूं
जो 16 दिसम्बर की गैंगरेप घटना के बाद से दामिनी-अनामिका को न्याय दिलवाने की लड़ाई
लड़ रहे हैं। आपको पहली जीत मिल गई है। दिल्ली पुलिस ने घटना के 18 दिन बाद ही पहली
चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह आपका दबाव ही है, जज्बा ही है जिसने गूंगी, बहरी, मरी
हुई सरकार व प्रशासन को ऐसा करने पर मजबूर किया है। चार्जशीट दाखिल करने में ही महीनों
लग जाते थे। यह भी कम संतोष की बात है कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार पांच
आरोपियों के खिलाफ हत्या, बलात्कार, अपहरण और अन्य आपराधिक धाराएं लगाई हैं। आरोप पत्र
में इस मामले के आरोपी राम सिंह, उसका भाई मुकेश और साथी पवन गुप्ता, विनय शर्मा और
अक्षय ठाकुर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या, बलात्कार, हत्या का प्रयास,
अपहरण, अप्राकृतिक अपराध, डकैती, लूट के लिए मारपीट, साक्ष्य नष्ट करने, आपराधिक साजिश के आरोप लगाए हैं। इस मामले में छठवां आरोपी नाबालिग
है और उसके खिलाफ नाबालिग न्याय बोर्ड द्वारा ही कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा। हालांकि
पुलिस उसे पूरे घटनाक्रम का सूत्रधार मानती है। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में इस नाबालिग
आरोपी की भूमिका का विशेष रूप से उल्लेख किया है। मैं उन लोगों के जज्बे को सलाम करता
हूं जो इस कड़ाके की ठंड में दामिनी-अनामिका को न्याय दिलाने के लिए खुले आसमान के
नीचे दिन-रात दिल्ली के जंतर-मंतर पर लगातार प्रदर्शन करने में जुटे हैं। इस घटना ने
जाति-धर्म ही नहीं राज्यों की दीवारें भी तोड़ दी हैं। जंतर-मंतर पर न कोई ऊंचा और
न ही कोई पिछड़ा, न हिन्दू, न मुसलमान, न सिख, न ईसाई, न कोई लाल झंडा, न भगवा और न
ही कोई और रंग का झंडा। सभी की एक ही मांग है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़ा कानून
बने। खास बात यह भी है कि महिला हितों की रक्षा के लिए महिलाओं से ज्यादा पुरुष संघर्ष
करते नजर आ रहे हैं। गैंगरेप के खिलाफ बीते कई दिनों से जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल पर
बैठे एक व्यक्ति की हालत बिगड़ गई। पुलिस की ओर से आरएमएल अस्पताल से आग्रह किया गया
है कि वह उनके स्वास्थ्य की जांच करे पुलिस के आग्रह पर अस्पताल के डाक्टरों ने उनसे
अपना भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया। जंतर-मंतर पर कैंडल मार्च के अलावा बुधवार
को कई लोगों ने शांति मार्च, शांति यज्ञ का भी आयोजन किया। कड़ाके की ठंड में सैकड़ों
लोगों ने सुबह प्रार्थना की। दोपहर को नुक्कड़ सभाएं आयोजित कीं, जबकि शाम को कैंडल
मार्च हुआ। उधर टीम केजरीवाल की ओर से मिंटो ब्रिज के पास छात्र संसद का आयोजन किया
गया। जंतर-मंतर प्रदर्शनकारियों का संघर्ष चौक बन गया है। इतनी ठंड में भी लोग अनशन
पर डटे हुए हैं इस उम्मीद में कि अगली सुबह महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कानून
बने। महिला हितों के लिए हो रहे इस संघर्ष में कोई राजस्थान से आकर जंतर-मंतर पर न्याय
का नारा बुलंद कर रहा है तो कोई हरियाणा-पंजाब से आकर बेटियों की सुरक्षा की गुहार
कर रहा है। यह सब बधाई के पात्र हैं। इन्हीं का संघर्ष रंग लाने लगा है। रिकार्ड टाइम
में चार्जशीट इस लम्बी लड़ाई की पहली जीत है। यह प्रेशर तब तक बना रहना चाहिए जब तक
देश में महिलाओं की पूर्ण सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते और बलात्कारियों
को सख्त से सख्त सजा नहीं मिलती।
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