Friday, 1 March 2013

लाइफ ऑफ पाई ने मचाई ऑस्कर में धूम



 Published on 1 March, 2013 
 अनिल नरेन्द्र
पिछले कुछ समय से हिन्दी फिल्मों में एक नई लहर आई है। नए फिल्मकार सीधे पर्दे पर ड्रामा रचने के बजाय जीते-जागते देसी चरित्रों पर लिखी कहानियों को अपनी रचना का आधार बना रहे हैं। रोल और रील लाइफ का फर्प मिटाने वाली ये फिल्में दर्शकों को अपने समय की सच्चाइयों से जोड़ती हैं। पान सिंह तोमर, शंघाई, बर्फी, गैंग्स ऑफ वासेपुर और कहानी से शुरू हुआ यह सिलसिला लाइफ ऑफ पाई तक पहुंचा है। इस बार के विश्व प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कारों में भारत को खुश रखने के लिए कई बातें हैं। चार  पुरस्कार जीतने वाली `लाइफ ऑफ पाई' की पूरी कास्ट भारतीय थी। सबसे बढ़कर इस फिल्म ने सुंदर दृश्यों वाली जगह के रूप में भारत को प्रतिष्ठा दी है। इनमें पहले वाली बात डैनी वायल की `स्लम डॉग मिलेनियर' में भी थी, लेकिन भारत की सिनेमैटिक छवि सुधारने में उसका कोई विशेष योगदान नहीं माना जा सकता। उस फिल्म में एक सीन तो भारत की गरीबी और मजबूरी दर्शाता था जिसकी कहानी से कहीं भी कनेक्शन नहीं था। इस बार के ऑस्कर की यह खासियत बताई जा रही थी कि एक-दूसरे को टक्कर दे रही हॉलीवुड की चार मजबूत फिल्मों का कोई न कोई इंडियन कनेक्शन जरूर था। इससे एक बात तो साफ है कि दुनिया के सिनेमा नक्शे पर भारत की जगह पक्की हो रही है। हॉलीवुड की फिल्में भारत में पहले भी काफी कमाई करती रही हैं, लेकिन अब वे लोकप्रियता के मामले में जब-तब हमारी फिल्मों से भी आगे जाने लगी हैं। अमेरिका में लांस एंजिल्स के डाल्वी थिएटर में सितारों से सजे समारोह में सिनेमा की दुनिया का नोबल पुरस्कार माने जाने वाले ऑस्कर पुरस्कारों में इस साल भारतीय कलाकारों की संवेदनशील जीवंत अभिनय क्षमता को प्रदर्शित करने वाली निर्देशक आंग ली की फिल्म `लाइफ ऑफ पाई' ने सर्वाधिक चार ऑस्कर पुरस्कार जीतकर धूम मचा दी। फिल्म के लिए संगीत निर्देशक माइकल डाना को ऑस्कर मिला, दो अन्य श्रेणियों में भी मिला। जबकि वेन एफलिक की ईरानी बंधक प्रकरण पर बनी फिल्म आरगो को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला। आरगो मैंने देखी है, फिल्म बहुत अच्छी बनाई है। चूंकि यह ईरान को पसंद नहीं आई इसलिए ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने इसे सीआईए का विज्ञापन करार दिया है। ईरान में आरगो को सिनेमाघरों में प्रदर्शित नहीं किया गया लेकिन डीवीडी की मदद से इसे देखने वालों की कमी नहीं है। भारतीय कलाकारों की संवेदनशील जीवंत अभिनय क्षमता को प्रदर्शित करने वाली ताइवान के निर्देशक आंग ली की लाइफ ऑफ पाई ने चार श्रेणियों में पुरस्कार हासिल किए हैं। तब्बू, इरफान खान और नवोदित सूरज शर्मा ने फिल्म में संजीदा अभिनय किया है। मेरे लिए सबसे ज्यादा खुशी की बात यह है कि सूरज शर्मा दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉलेज सेंट स्टीफंस के छात्र हैं। वह फिलास्फी फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट हैं और मैं भी सेंट स्टीफंस से पढ़ा हूं। ऑस्कर अवार्ड बेशक लांस एंजिल्स के डाल्वी थिएटर में दिए गए हों पर धूम तो सेंट स्टीफंस कॉलेज में मची। आंग ली ने स्टीवन स्पील बर्ग और माइकल हेनेक जैसे दिग्गजों को पछाड़ते हुए लाइफ ऑफ पाई फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का ऑस्कर हासिल किया। सूरज के ऊपर चढ़ते दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में हर किसी की जुबान पर सूरज का ही नाम था। सभी को अपने दिल्लीवासी होने पर गर्व हो रहा था। हर कोई यह बताने में गर्व महसूस कर रहा था कि ऑस्कर में चमक बिखेरने वाला सूरज तो अपनी दिल्ली का है। सेंट स्टीफंस के लिए तो यह बहुत खुशी का दिन रहा। अब हर कोई सूरज से मिलने के लिए बेताब है। सूरज रातोंरात अंतर्राष्ट्रीय सुपर स्टार बन गए हैं।

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