Published on 3 March, 2013
अनिल नरेन्द्र
पाकिस्तान में शियाओं पर हमलों का सिलसिला कम होने
के बजाय उल्टा तेज होता जा रहा है। पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिमी शहर क्वेटा के मुख्य
बाजार में एक स्कूल के निकट पिछले सप्ताह हुए शक्तिशाली बम विस्फोट में मरने वालों
की संख्या 80 हो चुकी है और 200 घायल हुए हैं। मरने वालों में बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। अल्पसंख्यक शिया समुदाय
को निशाना बनाकर किया गया इस साल का यह दूसरा बड़ा हमला था। इससे पहले सुन्नी दहशतगर्दों
ने प्रांतीय राजधानी क्वेटा में 10 जनवरी को दो आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया था। इसमें
117 लोग मारे गए थे जबकि 100 घायल हुए। इन दो हमलों में लगभग 200 लोग अपनी जानें गंवा
चुके हैं जबकि घायलों की संख्या 300 से ऊपर है। हमले के बाद से अल्पसंख्यक समुदाय में
भारी रोष है। शिया संगठनों ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। पाक में शिया
विरोधी आंदोलन 80 के दशक में शुरू हुआ था। सुन्नी नेता हक नवाज झांगवी ने सिपाह-ए-साहबा
का गठन किया। अल्पसंख्यकों पर हमला था इस चरमपंथी संगठन का एकमात्र मकसद। हजारा डेमोकेटिक
पार्टी के प्रमुख अब्दुल खालिक हजारा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा जुलाई 2011
में एलईजी के नेता मलिक इसहाक को जमानत पर रिहा कर देने के बाद क्वेटा में शिया समुदाय
हजारा के लोगों के खिलाफ हमलों में वृद्धि हुई है। इसहाक पर 100 से ज्यादा हत्याओं
में शामिल होने का आरोप था और वह 14 साल जेल में रहा। सबूतों के अभाव में उसे रिहा
कर दिया गया। क्वेटा में पिछले दिनों इन दोनों हमलों के लिए जिम्मेदार प्रतिबंधित संगठन
लश्कर-ए-झांगवी (एलएजी) ने धमकी दी है कि बलूचिस्तान प्रांत में गवर्नर शासन लागू किए
जाने के बावजूद वह अल्पसंख्यक शिया समुदाय को निशाना बनाता रहेगा। एलईजी के प्रवक्ता
अबु बाकर सिद्दीकी ने कहा कि सरकार को इस भय में नहीं रहना चाहिए कि बलूचिस्तान में
गवर्नर शासन लागू होने के बाद हम अपने दुश्मन शिया हजारा को निशाना नहीं बनाएंगे। एलईजी
प्रवक्ता ने दावा किया कि उसके संगठन के पास विस्फोटों से लदे 20 से ज्यादा वाहन हैं
जो दुश्मन को निशाना बनाने के लिए तैयार हैं। उसने कहा कि क्वेटा में शिया बहुल इलाके
में लक्ष्यों पर हमले के लिए आतंकवादी संगठन सिर्प नेतृत्व के आदेश की प्रतीक्षा कर
रहा है। उसने कहा कि हम गवर्नर शासन या पाकिस्तानी सेना से भयभीत नहीं हैं तथा हम शिया
हजारा समुदाय के लोगों की उनके घरों में हत्या करते रहेंगे। पाकिस्तान में क्वेटा को
फौज के हवाले करने की मांग उठने लगी है। चौथे दिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री वहां पहुंचे।
राज्य सरकार बर्खास्त कर दी गई है और गवर्नर रुल लागू कर दिया गया है। जो कुछ हो रहा
है वह बहुत ही निन्दनीय है। इंसानियत के लिए इससे बहुत खतरा है। समझ नहीं आ रहा कि
21वीं सदी में पाकिस्तान आखिर किस ओर बढ़ रहा है? समाज बंट रहा है। बम धमाके तो पाकिस्तान
में मामूली बात हो चुकी है। हजारा बिरादरी न जाने कितने शहीदों को दफना चुकी है। उसका
आखिर कसूर क्या है? लश्कर-ए-झांगवी पर हालांकि प्रतिबंध लगा हुआ है फिर भी वह सोची-समझी
प्रतिक्रिया से अपनी कार्यवाही करने से बाज नहीं आ रहा। पाकिस्तान की जरदारी सरकार
के लिए शियाओं पर यह हमले एक जबरदस्त चुनौती बनते जा रहे हैं।
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