Friday, 15 March 2013

सरकारी अफसरों का ड्रग्स तस्करी मामले में शामिल होना खतरनाक है



 Published on 15 March, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
ओलंपियन बॉक्सर विजेन्द्र सिंह के ड्रग्स धंधे में शामिल होने के कथित आरोपों ने एक बार फिर देश का ध्यान इस बढ़ते अपराध की ओर खींचा है। इस फलते-फूलते धंधे में एक दुखद पहलू यह भी उभर कर आ रहा है कि सरकारी अधिकारी चाहे वह नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के हों या फिर सेना के वरिष्ठ अफसर हों इसमें शामिल हैं। हाल ही में हमारे सामने दो केस ऐसे आए हैं जिनसे यह बात साबित होती है। पहला केस मणिपुर का है। मणिपुर के चन्देल जिले में पुलिस ने सेना के कर्नल स्तर के पीआरओ और पांच अन्य लोगों को कथित रूप से 15 करोड़ रुपए मूल्य का अवैध मादक पदार्थ ले जाते हुए गिरफ्तार किया है जिसकी तस्करी म्यांमा के लिए की जानी थी। पुलिस ने बताया कि सेना के पीआरओ कर्नल अजय चौधरी, उनके सहायक आरके बबलू व अन्यों को हिरासत में लिया है। सेना के प्रवक्ता कर्नल जगदीप दहिया ने दिल्ली में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कर्नल अजय चौधरी को मणिपुर पुलिस ने पांच अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया है। हमें यह विश्वास कराया गया है कि कुछ मादक पदार्थ बरामद किया गया है। सेना ने वादा किया कि अगर कोई भी कर्मी इस मामले में लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। अजय चौधरी ने हालांकि दावा किया है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि भेजे जा रहे माल में अवैध मादक पदार्थ है। उन्होंने कहा  कि बहुत वरिष्ठ अधिकारी के भतीजे ने उनके साथ धोखा किया है। दूसरा मामला और भी ज्यादा खतरनाक है। मालखाने से हेरोइन चुराकर बेचने का है। यह मामला चंडीगढ़ का है। एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर साजी मोहन और सुपरिंटेंडेंट बलविन्दर सिंह को मालखाने से 30 किलो हेरोइन चुराकर बेचने के केस में अदालत ने 13-13 साल की सजा सुनाई है। दोनों पर तीन-तीन लाख का जुर्माना भी किया गया है। साजी मोहन के पीएसओ और जम्मू-कश्मीर के कांस्टेबल नवीन कुमार को सरकारी पद के दुरुपयोग के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शालिनी सिंह नागपाल ने यह सजा सुनाई है। मुंबई एटीएस ने हेरोइन तस्करी और इसकी बिक्री करने के आरोप में एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) के तत्कालीन जोनल डायरेक्टर साजी मोहन को पकड़ा था। एनसीबी ने चंडीगढ़ में अपने मालखाने का रिकार्ड चैक किया। चैकिंग में 15 मई 2008 को जम्मू-कश्मीर बार्डर से जब्त करके लाई गई 60 किलो हेरोइन की बजाय तीस किलो हेरोइन मिली थी। जांच में पता चला कि साजी मोहन ने 30 किलो हेरोइन तत्कालीन सुपरिंटेंडेंट बलविन्दर सिंह और गनमैन दविन्दर और नवीन के साथ मिलकर बेच दी। इसमें से दस किलो हेरोइन साजी मोहन ने तस्कर नसीब चन्द को दी थी। एनसीबी ने साजी मोहन, बलविन्दर सिंह, तस्कर नसीब चन्द समेत साजी के गनमैन और नवीन के खिलाफ मामला दर्ज किया था। अक्तूबर 2010 में सभी पर आरोप तय किए गए थे। यह एक निहायत ही खतरनाक मोड़ है जब अफसरगण खुद ही तस्करी में लग जाएं।

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