Saturday, 30 March 2013

आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं उमर अब्दुल्ला



 Published on 30 March, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
 दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार हिजबुल आतंकी लियाकत शाह के मामले में एक नया विवादास्पद मोड़ तब आया जब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लियाकत मामले में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से बातचीत की। मुख्यमंत्री ने फोन पर शिंदे के समक्ष यह मामला उठाया और लियाकत की गिरफ्तारी के मामले में दिल्ली सरकार से एनआईए को स्थानांतरित करने की मांग की। उमर अब्दुल्ला ने प्रश्न किया कि लियाकत सरेंडर होने के लिए क्या अपने परिवार के साथ आता? सवाल यह उठता है कि उमर अब्दुल्ला किस मुंह से सवाल-जवाब कर सकते हैं? नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक प्रो. भीम सिंह ने भारत सरकार को चेतावनी दी है कि समर्पित आतंकवादियों की पुनर्वास नीति के बहाने उमर सरकार आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है। जिससे जम्मू-कश्मीर आईएसआई के अधूरे एजेंडे को पूरा किया जा रहा है। एक आपात पत्रकार सम्मेलन में प्रो. भीम सिंह ने अनेक सवाल उठाए जिन्हें तथाकथित पुनर्वास नीति को समझने के लिए उनके जवाब देने की जरूरत है। पाकिस्तानी पासपोर्ट के साथ एक पाकिस्तानी नागरिक को नेपाल में  प्रवेश कैसे करने दिया गया? फिर ये लोग सीमा पार कर भारत में कैसे प्रवेश कर गए? क्या पुनर्वास नीति पाकिस्तान और नेपाल के साथ किए अंतर्राष्ट्रीय समझौते से भी ऊपर है, जो उनके नागरिक भारत में प्रवेश कर सकें? क्या नेपाल समझौते के अंतर्गत विदेशियों को नेपाल के रास्ते भारत में बिना पहचान पत्र के प्रवेश करने की इजाजत है? यह पुनर्वास नीति सीधे-सीधे भारत के संविधान में हस्तक्षेप करती है, खासकर नागरिक कानून के अंतर्गत। कैसे एक पाकिस्तानी नागरिक को भारत में प्रवेश करने दिया गया और फिर उसे जम्मू-कश्मीर में घुसने के लिए राज्य सरकार ने सहायता की जिसमें भारत सरकार का मौन सहयोग रहा? जम्मू-कश्मीर पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को दी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले दिनों में कुछ आतंकी भारत में समर्पण करने वाले हैं, लेकिन इस प्रकरण से अब इस पर संशय बन गया है। जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पुनर्वास प्रक्रिया के तहत आने वाले दिनों में चार आतंकी भारत में प्रवेश करने वाले हैं। सूत्रों की मानें तो इनमें से एक आतंकी कश्मीर के डोडा का एरिया कमांडर रह चुका है। जबकि दो आतंकी पुलवामा घाटी से संबंध रखते हैं। भारत सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि करीब 250 ऐसे लोगों को जो अपने आपको कश्मीरी बताते हैं दिल्ली के रास्ते जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने दिया गया, जिनके पास जम्मू-कश्मीर सरकार के पहचान पत्र थे। ये कार्ड उन लोगों को जारी किए जाते हैं जिनके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट हैं और जो नेपाल में प्रवेश करते हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और आईएसआई के बीच एक निश्चित समझौते के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर में बसाए जाते हैं, यह कहना है प्रो. भीम सिंह का। यह सरासर धोखाधड़ी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। केंद्र सरकार भी इससे चिंतित है तभी तो इस पुनर्वास नीति की समीक्षा करने की बात कर रही है।

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