Thursday, 21 March 2013

बेनी प्रसाद बनाम मुलायम के निशाने पर अल्पसंख्यक वोट




 Published on 21 March, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
केन्द्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा जैसे दोस्त हों तो कांग्रेस को दुश्मनों की जरूरत नहीं। एक तरफ तो कांग्रेस के युवा उपाध्यक्ष राहुल गांधी निर्दोष मुसलमान युवकों को आतंकवाद में जबरन फंसाने के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं बेनी प्रसाद समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को आतंकवादियों का समर्थक बता रहे हैं। बेनी ने गोंडा में एक सभा में कहा कि मुलायम सिंह गुंडे हैं और आतंकियों के समर्थक हैं। मैं मुलायम को अच्छी तरह जानता हूं। कमीशन खाओ और परिवार को खिलाओ, लेकिन बेनी प्रसाद ऐसा नहीं करेंगे। यह पहली बार नहीं जब बेनी बाबू के बयान से कांग्रेस को नुकसान पहुंचा हो। पिछले उत्तर पदेश विधानसभा चुनाव में भी उनके विवादास्पद बयानों से पार्टी को भारी नुकसान हुआ था और रही उनकी यूपी में हैसियत की तो विधानसभा चुनाव में बेटे की जमानत तक नहीं बचा सके। बेनी प्रसाद ने मुलायम के खिलाफ ऐसा बयान आखिर क्यों दिया? एक वजह हो सकती है कि बेनी बाबू गोंडा से चुनाव लड़ते हैं। यहां पर मुस्लिम सियासत जोरों पर चलती है। गोंडा में बरेलवी मुसलमान समुदाय का वर्चस्व है और बरेलवी मुसलमान और मुसलमानों में शिया गुट देवबंदियों को पसंद नहीं करता। जहां बेनी बाबू का बयान विवादास्पद है वहीं मुलायम सिंह से भी सवाल पूछा जा सकता है कि आप और आपकी सपा सरकार उन तथाकथित निर्दोष मुस्लिम युवकों को जेल से छुड़ाने की मुहिम क्यों चला रही है? आप कानूनी पकिया में क्यों दखलअंदाजी कर रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि आरोपी निर्दोष हैं या कसूरवार इसका फैसला अदालत को करना है। मुलायम या यूपी सरकार को नहीं। इन परिस्थितियों में अगर मुलायम को आतंकवादी समर्थक बताया जाए तो इस पर इतनी हाय-तौबा क्यों? संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस पवक्ता राशिद अल्वी के खेद जताने के बाद भी मुलायम सिंह यादव नाराज चल रहे हैं। इस बार मुलायम हथियार डालने के मूड में नहीं लगते। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक अपनी शिकायत पहुंचा दी है और जवाब का इंतजार कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी इस बार लगता है आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है। दरअसल कुछ कांग्रेसियों का मानना है कि बेनी ने तुरुप का पत्ता चलकर मुलायम की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। उन्होंने उत्तर पदेश में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के आरोपियों में से एक पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को समाजवादी पार्टी में शामिल करने को आधार बनाया है। इसे कुरेदने पर यूपी का मुसलमान भी चिढ़ जाता है। कांग्रेसियों का मानना है कि इससे मुसलमान मुलायम से दूर हो सकते हैं। सारा खेल ही अल्पसंख्यक वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने का है। यह दुर्भाग्य ही है कि इस सियासी लड़ाई में इस्तेमाल हो रही है भारत की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था लोकसभा। देश की सर्वोच्च सत्ता और संपभुता की पतीक संस्था को तमाशाघर बना कर रख दिया गया है।

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