Tuesday, 26 March 2013

आतंक के साए में राजधानी दिल्ली



  Published on 26 March, 2013  
 अनिल नरेन्द्र 
 दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने होली से पहले आत्मघाती हमला करके दिल्ली को दहलाने की बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम करने का दावा किया है। पुलिस ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी सैयद लियाकत शाह को यूपी के गोरखपुर से गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही पर दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके में स्थित एक गेस्ट हाउस से तबाही का सामान बरामद किया, जिसमें विस्फोटक ग्रेनेड और एक एके-56 राइफल शामिल है। गिरफ्तार आतंकी सैयद लियाकत शाह उर्प लियाकत बुखारी जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा का रहने वाला है। दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (स्पेशल सेल) एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि खुफिया विभाग को सूचना थी कि लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी अफजल गुरू की फांसी के विरोध में आतंकी हमले करने की फिराक में हैं। सूचना मिली थी कि हिजबुल के आतंकी दिल्ली में मौजूद हैं। इसके बाद सैयद लियाकत को गोरखपुर में भारत-नेपाल के सोनोली बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया। लियाकत कराची से नेपाल पहुंचा था। लियाकत की निशानदेही पर पुलिस ने दिल्ली स्थित हाजी अराफात गेस्ट हाउस में दबिश दी तो विस्फोटक लाने वाले आतंकी रिसेप्शन पर चाबी देकर खाना खाने की बात कहकर गया था। 21 मार्च की रात करीब पौने 11 बजे स्पेशल सेल की टीम जामा मस्जिद स्थित हाजी अराफात गेस्ट हाउस पहुंची। पुलिस टीम कमरा नम्बर 304 की तलाशी लेना चाहती थी। कमरा नम्बर 304 में रहने वाले के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि कमरे में रहने वाला व्यक्ति 27 घंटे पहले ही कमरे में ताला लगाकर जा चुका है। पुलिस की टीम रात करीब ढाई बजे तक छानबीन करती रही। इस दौरान कमरे से विस्फोटक और एक एके-56 के अलावा कई कागजात मिले। पुलिस को विस्फोटक और हथियार तो मिले लेकिन वहां तक पहुंचाने वाला नहीं मिला। पुलिस को शक है कि दिल्ली के अन्य इलाके में भी उस आतंकी ने अपना ठिकाना बना रखा है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि दिल्ली में अभी तक आतंकी खतरा टला नहीं। जामा मस्जिद इलाके से भारी विस्फोटक बरामद होने के बाद फिरोजशाह कोटला स्टेडियम पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। स्पेशल सेल एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली में बम ब्लास्ट करने की योजना आतंकी बनाते ही रहते हैं। दिल्ली में विस्फोट करने का सीधा मतलब होता है कि यहां होने वाले विस्फोट की गूंज भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में सुनी जाती है। इसका प्रभाव भी साफ दिखाई देता है। आतंकियों से लोहा लेने के लिए ही स्पेशल सेल का गठन किया गया है। आंकड़ों के अनुसार उन्होंने बताया कि 2011 से अब तक एलटीई, जेईएम, आईएम के कुल 28 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें सबसे ज्यादा 18 आतंकी हिजबुल मुजाहिद्दीन से संबंधित हैं। सूत्रों की मानें तो इस बार किसी वीआईपी को निशाना बनाने की योजना थी। इसके लिए फिदायीन हमला किया जाना था। साथ ही इजरायली एम्बेंसी की तरह ही किसी वीआईपी पर ग्रेनेड हमला करने की पूरी क्रिप्ट तैयार कर ली गई थी। पुलिस यह मान रही है कि लियाकत इस खेल में अकेला शामिल नहीं है बल्कि छह लोगों की टीम राजधानी में दहशत फैलाने के लिए भेजी गई थी। लियाकत को तो गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन पांच अन्य आतंकी और संदिग्ध अभी भी फरार चल रहे हैं। जिससे कहा जा सकता है कि राजधानी में खतरा अभी टला नहीं है। वैसे स्पेशल सेल द्वारा लियाकत की गिरफ्तारी पर भी विवाद पैदा हो गया है। कश्मीर पुलिस के हवाले से आई खबरों ने स्पेशल सेल के इस एक्शन पर सवाल उठाए हैं। कश्मीर पुलिस ने कहा बताते हैं कि लियाकत राज्य सरकार की माफी नीति के तहत पाक कब्जे के कश्मीर से बरास्ता नेपाल फिर से कश्मीर में बसने के लिए आ रहा था। इस पर दिल्ली पुलिस और खुफिया अफसरों का कहना है कि यदि लियाकत सरेंडर करने और फिर से कश्मीर में बसने के लिए आ रहा था तो उसने नेपाल का रूट क्यों पकड़ा? वह पाक कब्जे के कश्मीर से आसानी से इधर के कश्मीर में बस से आ सकता था? यदि वह सरेंडर करने आ रहा था तो कश्मीर पुलिस का कोई कर्मी उसे लेने के लिए भारत-नेपाल बॉर्डर पर क्यों नहीं पहुंचा? यह भी पूछा जा सकता है कि जामा मस्जिद क्षेत्र के गेस्ट हाउस से मिले इतने खतरनाक हथियार किसके हैं, किसने, किसके लिए रखे थे? यह भी कि गेस्ट हाउस में ठहरने आया शख्स असल में कौन था, उससे वह मिलने आया शख्स कौन था?

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