Tuesday, 19 March 2013

सेबी बनाम सहारा लड़ाई खतरनाक मोड़ पर



 Published on 19 March, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
यह दुर्भाग्य की बात है कि सहारा समूह और सेबी के बीच खटास बढ़ती ही जा रही है। अब नौबत यहां तक आ गई है कि सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपए नहीं लौटाने के मामले में सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में सुब्रत राय को गिरफ्तार करने का आवेदन दिया है। साथ ही उनके देश से बाहर जाने पर रोक लगाने की भी मांग की है। सेबी ने यह आग्रह समूह की दो कम्पनियों की ओर से अदालत के उस आदेश का अनुपालन करने में विफल रहने पर किया है, जिसमें सहारा समूह की दो कम्पनियों की ओर से निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपए लौटाने को कहा गया था। जस्टिस केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष बाजार नियामक ने इस आवेदन पर सुनवाई करने की अनुमति देने की मांग की जिस पर पीठ ने सहमति जताते हुए अप्रैल के पहले सप्ताह में आग्रह पर सुनवाई की मंजूरी प्रदान कर दी। सेबी ने पीठ के समक्ष दलील दी कि सुब्रत राय को गिरफ्तार करने और सिविल प्रिजन में हिरासत में रखने का कदम उठाने की मंजूरी दी जाए। इसके अलावा दोनों कम्पनियों के निदेशकों अशोक राय चौधरी और रवि शंकर दुबे का पक्ष रखने का समुचित मौका देकर उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने की अनुमति दी जाए। पिछले कई दिनों से सहारा समूह और सेबी के बीच निवेशकों का पैसा लौटाने संबंधी कानूनी लड़ाई चल रही है। दरअसल यह लड़ाई 2008 में सहारा इंडिया रियल इस्टेट कारपोरेशन (एसआईआरईसी) और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कारपोरेशन (एसएचआईसी) कम्पनी बनी थी। इसमें करीब 2.20 करोड़ खुदरा निवेशकों से पैसा जुटाया गया। लेकिन आरोप है कि वादे के मुताबिक पैसा वापस नहीं किया गया। जून 2011 में सेबी ने दोनों कम्पनियों को निवेशकों का पैसा लौटाने को कहा। सहारा ने आदेश नहीं माना। सेबी सुप्रीम कोर्ट में गया और कोर्ट ने अगस्त 2012 में दोनों कम्पनियों को 90 दिन में निवेशकों का पैसा  लौटाने को कहा। सहारा ने मोहलत मांगी। दिसम्बर 2012 में कोर्ट ने दोनों कम्पनियों को तीन किस्तों में पैसे देने को कहा। इसमें से 5120 करोड़ की पहली किस्त फौरन देनी थी। 10 हजार करोड़ रुपए की दूसरी किस्त जनवरी 2013 के पहले हफ्ते में और आखिरी किस्त फरवरी के पहले सप्ताह में लौटानी थी। विगत छह फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पैसा लौटाने की निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद सेबी को सहारा की दोनों कम्पनियों के खातों पर रोक लगाने और उनकी सम्पत्तियों की जब्ती का आदेश दिया था। दूसरी ओर सहारा ने दावा किया है कि उसने सेबी को अब तक 5120 करोड़ रुपए का भुगतान किया है और उसका यह भी दावा है कि यह राशि ही दोनों कम्पनियों के बांडधारकों की कुल बकाया देनदारी से ज्यादा है। सेबी द्वारा सहारा समूह के प्रमोटर सुब्रत राय की गिरफ्तारी की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए जाने के बाद सहारा समूह ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसका सारा कारोबार कानूनी ढंग से चलाया जा रहा है और निवेशकों के साथ किसी तरह की गड़बड़ी उसने नहीं की है और न ही उसका ऐसा कोई इरादा है। कम्पनी का कहना है कि उसने एडवांस टैक्स के रूप में 700 करोड़ रुपए से अधिक की राशि आयकर विभाग में जमा की है। मामला चूंकि सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए ज्यादा टीका-टिप्पणी नहीं हो सकती पर हमें लगता है कि समस्या की जड़ है सहारा की देनदारी। सेबी का कहना है कि सहारा की इन दो कम्पनियों को 24,029 करोड़ निवेशकों को लौटाना है जबकि सहारा का कहना है कि हमने 5120 करोड़ रुपए लौटा दिया है और यह राशि देनदारी को कवर करती है। सहारा ने यह भी कहा है कि उसने सेबी से बार-बार समय देकर बातचीत करने का अनुरोध किया है  पर सेबी ने न तो समय ही दिया और न ही सफाई पेश करने का मौका। गिरफ्तारी और खाते सील करने, सुब्रत राय का पासपोर्ट जब्त करने से समस्या का समाधान शायद न हो। बेहतर है कि पैसों का मामला पैसों से ही निपटाया जाए और किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से पहले यह तो तय किया जाए कि 5120 करोड़ रुपए देने के बाद सहारा कम्पनियों की देनदारी बची है या नहीं। बची है तो उसका भुगतान दोनों की सहमति से तय किया जाए। जिस तरह से सेबी चल रही है उससे बदले की भावना की बू आती है।

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