Published on 13 March, 2013
अनिल नरेन्द्र
चलती चार्टर्ड बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप
व हत्या के मुख्य आरोपी राम सिंह ने अति सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल में सोमवार
तड़के फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सुबह छह बजे कैदियों को जगाने पहुंचे तमिलनाडु
पुलिस के एक जवान ने उसे रोशनदान के सहारे फंदे पर लटकते हुए देखा और जेल प्रशासन को
सूचित किया। उसे जेल के अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित किया गया। शव पोस्टमार्टम के लिए एम्स भेज दिया गया है। भले ही
राम सिंह को फांसी की मांग करने वालों को उसकी मौत से शांति मिली हो लेकिन गैंग पीड़िता
के भाई का कहना है कि उसे इस खबर से कोई फर्प नहीं पड़ता कि राम सिंह ने आत्महत्या
कर ली है। उसे तो खुशी तब होती जब उसे सरेआम फांसी पर लटकाया जाता। अब हम बाकी चारों
की फांसी का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा नेता एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि राम सिंह के
प्रति उन्हें कोई सहानुभूति नहीं है। नायडू ने कहा कि यदि उसने आत्महत्या की है तब
हमें कोई सहानुभूति नहीं है। राम सिंह की मौत की खबर सुनने के बाद ही पश्चिमी दिल्ली
में रह रहे गैंगरेप पीड़िता के परिजनों की
पहली प्रतिक्रिया थी `जैसी करनी, वैसी भरनी।' पीड़िता के पिता ने कहा कि जिस तरह का
कुकृत्य किया गया था उसके बाद कोई भी इंसान सामान्य स्थिति में नहीं रह सकता। राम सिंह
की मानसिक स्थिति कैसी होगी यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। न तो वह जेल के अन्दर
सुरक्षित था, न अदालत और न ही जेल के बाहर पब्लिक में। हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट
ऑफ मेंटल हेल्थ एण्ड एलाइड साइंस ने कैदियों के स्वास्थ्य पर एक रिपोर्ट जारी की थी।
जिसमें पाया गया था कि भारतीय जेलों में सजा काट रहे 68 फीसदी कैदी किसी न किसी तरह
की मानसिक समस्या के शिकार होते हैं। कैदियों द्वारा आत्महत्या करने और खुद को क्षति
पहुंचाने की घटनाएं इसीलिए बढ़ रही हैं। दिल्ली साइकेटी एसोसिएशन के डॉ. सुनील मित्तल
कहते हैं कि निश्चित रूप से राम सिंह ने परिस्थितिवश मौत को गले लगाया। अब तक जो तथ्य
सामने आए हैं उससे यही पता चलता है कि सम्भव है कि राम सिंह उन्हीं परिस्थितियों से
गुजर रहा हो। गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद जिस तरह का सन्नाटा रविदास कैम्प में था
वैसा ही सन्नाटा सोमवार की सुबह भी वहां पसरा हुआ था। अन्तर सिर्प यही था कि एक घर
को छोड़कर कहीं पर मातम नहीं था जबकि गैंगरेप पीड़िता की मौत पर सभी ने अफसोस जताया
था। रविदास कैम्प वही स्थान है जहां मुख्य आरोपी राम सिंह (मृतक) सहित तीन अन्य आरोपियों
का घर है। कैम्प के लोगों में गुस्सा इस कदर है कि उन्होंने साफ कहा कि यहां शव को
भी नहीं आने देंगे। इसके साथ ही कैम्प का कोई भी आदमी अंतिम संस्कार में शामिल नहीं
होगा। राम सिंह की मौत का गैंगरेप केस पर क्या असर पड़ेगा? इसके जवाब में कानूनी जानकारों
के मुताबिक किसी केस के फैसले पर किसी आरोपी की मौत से बड़ा कोई असर नहीं पड़ता है,
लेकिन एक आरोपी कम हो जाता है। इस मामले में यदि यह साबित होता है कि राम सिंह ने खुदकुशी
की है तो यह उसके साथियों के गुनाह का एक और सबूत समझा जा सकता है। सरकारी पक्ष कह
सकता है कि राम सिंह और उसके साथियों ने ही घिनौना, बर्बर कृत्य किया और अब शर्मिंदगी
में ही आत्महत्या कर ली। हालांकि मौत के सही कारण का तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के
बाद ही पता चलेगा पर फिलहाल तिहाड़ जेल प्रशासन और दिल्ली सरकार मौत की परिस्थितियों
को लेकर कठघरे में जरूर खड़ी है। सवाल किया जा रहा है कि इतनी कड़ी सुरक्षा वाली जेल
में न्यायिक हिरासत में सरकार आरोपी की सुरक्षा नहीं कर सकी? चूंकि तिहाड़ जेल सीधा
दिल्ली सरकार के अधीन है इसलिए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सरकार की कार्यक्षमता पर सवाल
खड़ा होना स्वाभाविक ही है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा,
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजय गोयल ने इस मौत पर सीधे तौर पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित
को सवालों के घेरे में लिया है। उन्होंने कहा कि यह जेल सीएम के अधीन है और उसमें अव्यवस्था
का बोलबाला है। उन्होंने कहा कि जेल में राम सिंह की हुई मौत वहां की सुरक्षा व्यवस्था
पर सवाल खड़े कर रही है और इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।
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