Published on 30 March, 2013
अनिल नरेन्द्र
सहारा इंडिया ग्रुप को मंगलवार को दोहरा झटका लगा।
बाजार नियामक सेबी ने जहां सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय और तीन शीर्ष अधिकारियों
को निवेशकों को लगभग 24 हजार करोड़ रुपए लौटाने
के मामले में सम्पत्ति की सूची को अंतिम रूप देने के लिए 10 अप्रैल को तलब किया, वहीं
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सहारा की पांच इकाइयों को आम निवेशकों से पैसा इकट्ठा करने
से रोक दिया। सेबी ने मंगलवार को अपने आदेश में यह भी कहा है कि अगर सुब्रत राय, अशोक
राज चौधरी, रवि शंकर दूबे और वंदना भार्गव उसके समक्ष 10 अप्रैल को हाजिर नहीं होते
तो वह बिना सुने ही एकतरफा बिक्री की कार्रवाई की शर्तें निर्धारित कर देगा। इस बीच
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने लखनऊ स्थित सहारा समूह और उसकी इकाइयों को अपनी योजनाओं
के जरिए आम लोगों से पैसा लेने पर रोक लगा दी। सहारा की पांच इकाइयों, सहारा इंडिया
परिवार, सुब्रत राय सहारा, सहारा केडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लि., सहारा क्यू शॉप यूनिक
प्रोडक्ट रेंज लि. और सहारा क्यू गोल्ड आर्ट लि. के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते
हुए अदालत ने यह आदेश दिए। मामले की सुनवाई 22 अप्रैल को तय करते हुए अदालत ने अंतरिम
आदेश में यह भी कहा कि मामले की आगे की जांच रिजर्व बैंक और सेबी कर सकते हैं। साथ
ही मामले को प्रवर्तन निदेशालय को भेजा गया। आइए जानते हैं कि सहारा समूह के खिलाफ
न्यायालयों और नियामकों की यह सख्ती किसलिए है? सहारा समूह की तमाम फर्में जनता से
तमाम तरह की स्कीमों के जरिए पैसा जमा करती हैं। इनमें से ही दो कम्पनियोंöसहारा इंडिया
रीयल एस्टेट कारपोरेशन लि. (एसआईआरईसीएल) और
सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कार्प लि. (एसएचआईसीएल) ने तीन करोड़ निवेशकों से 24,000
करोड़ रुपए जुटाए थे। यह रकम वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तन डिबेंचर (ओएफसीडी) जारी करके
एकत्र की गई थी। 10 अप्रैल को पेश होकर सुब्रत राय को बताना होगा कि उनकी कौन-कौन-सी
सम्पत्तियों को बेचकर निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपए चुकाए जाएं। सुप्रीम कोर्ट के
आदेश पर समूह को यह रकम निवेशकों को लौटानी है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड
(सेबी) के अध्यक्ष यूके सिन्हा ने कोलकाता में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा
आयोजित कार्यक्रम में कहा कि अनियमित रूप से चिट फंड कारोबार फैल रहा है। मंगलवार को
कार्यक्रम में श्री सिन्हा ने कहा कि सेबी ऐसी सूचीबद्ध कम्पनियों पर भी कार्रवाई करेगा
जो निर्धारित समय सीमा के भीतर 25 प्रतिशत सार्वजनिक भागीदारी के नियम का अनुपालन नहीं
करेंगी। उन्होंने कहा कि कुछ चिट फंड कम्पनियां तो इस तरह के वादे कर रही हैं जिनके
तहत कोई भी वैध तरीके से व्यावसायिक गतिविधियां करते हुए वादे के अनुरूप रिटर्न नहीं
दे सकता। हमने इनमें से कुछ कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, जांच चल रही है।
कुछ मामलों में अंतरिम आदेश भी दिए हैं लेकिन फिर यह कम्पनियां कोर्ट पहुंच जाती हैं।
कई लोग इन चिट फंड कम्पनियों की योजनाओं में निवेश कर रहे हैं जोकि जोखिम भरा है। ये
कम्पनियां कानून में व्याप्त खामियों का फायदा उठाती हैं। उन्होंने कहा, हमने सरकार
से आग्रह किया है कि उसे नए कानून के साथ आगे आना चाहिए जिसमें इन कम्पनियों के लिए
एक नियामक की व्यवस्था हो। सिन्हा से जब सहारा के मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने
कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। कम्पनियों में न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी
के नियम का अनुपालन किए जाने के मुद्दे पर सेबी अध्यक्ष ने कहा कि अनुपालन में असफल
रहने वाली कम्पनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
No comments:
Post a Comment