Published on 14 March, 2013
अनिल नरेन्द्र
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं फर्जी वोटरों
का खेल भी आरंभ हो चुका है। दिल्ली में 15 लाख से अधिक फर्जी मतदाताओं का अनुमान है,
जिनकी छंटनी का कार्य शुरू कर दिया गया है। अगले माह 15 अपैल तक चुनाव आयोग के सामने
स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इसके लिए पिछले 15 सालों का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। खास
बात यह है कि जिन क्षेत्रों में फर्जी मतदाता पहचान पत्र मिलेंगे उन्हें बनाने वाले
अधिकारियों के खिलाफ चुनाव आयोग द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली के
मुख्य चुनाव अधिकारी विजय कुमार देव ने खास बात एक यह भी बताई कि फर्जी मतदाताओं की
छंटनी के अभियान में एक व्यक्ति के कई मतदाता पहचान पत्र होने के मामले भी सामने आए
हैं। देव कहते हैं कि विभाग की ओर से भी गलती यह हुई है कि एक व्यक्ति को एक ही मतदाता
पहचान पत्र संख्या जारी करनी थी। लेकिन एक व्यक्ति ने जितनी बार भी आवेदन किया उसे
हर बार नया मतदाता पहचान पत्र संख्या दे दी गई। चाहे उसने अपने पहचान पत्र में घर का
पता ही क्यों न बदलवाया हो। फर्जी पहचान पत्र यानी वोटर कार्ड बनवाने में सबसे बड़ा
हाथ हमारे नेताओं का है। नेता अफसरों पर दबाव डालकर अपने इलाकों में ऐसे वोटरों की
भारी फौज खड़ी कर लेते हैं ताकि चुनाव के वक्त ये उनकी मदद कर सकें। जांच में पाया
गया है कि करीब एक दर्जन विधायकों का पता लगा है जहां मिलीभगत से फर्जी वोटर कार्ड
बनवाए गए हैं। मुख्य निर्वाचन कार्यालय की रिपोर्ट में यह जानकारी आ चुकी है कि राजधानी
की 70 विधानसभाओं में करीब 14 लाख वोटर कार्ड फर्जी (11 फीसदी) हैं। जांच में इन लाखों
वोटर कार्डों को शिफ्टेड, मृत या डुप्लीकेट बताया गया है। इनका खात्मा करने के लिए
चुनाव कार्यालय दृढ़संकल्प नजर आता है। उनका टारगेट है कि 15 अपैल तक अधिकतर फर्जी
वोटरों को चेक कर उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाए। राजधानी में मोटे तौर पर एक
विधानसभा क्षेत्र में एक से सवा लाख तक वोटर हैं, हैरानी की बात यह है कि जांच के दौरान
कुछ विधानसभा क्षेत्रों में 15 हजार से 59 हजार वोटर फर्जी हैं। ऐसे विधानसभा क्षेत्रों
से दिल्ली सरकार के मंत्री और कुछ सीनियर विधायक चुनाव जीतकर आए हैं। सूत्र बताते हैं
कि इन इलाकों में आउटर दिल्ली में चार, यमुनापार में 3, वेस्ट दिल्ली में 3 और साउथ
दिल्ली में 2 विधानसभाए हैं। जिन विधानसभाओं में भारी तादाद में फर्जी वोटर पाए गए
हैं उनमें करावल नगर, मटिया महल, उत्तम नगर, आरकेपुरम, मालवीय नगर, बल्लीमारान, मंगोलपुरी,
गांधी नगर, लक्ष्मी नगर, महरौली आदि विधानसभा क्षेत्र पमुख हैं। पिछले विधानसभा चुनाव
में कई सीटों पर जीत का मार्जिन 5 हजार वोटों से कम रहा है। ऐसे में आगामी विधानसभा
चुनाव में ऐसे वोटरों की तादाद भारी उलटफेर कर सकती है। चुनाव आयोग की इच्छा की हम
सराहना करते हैं पर यह काम इतना आसान शायद न हो। कुछ नेताओं का तो राजनीतिक भविष्य
ही इन फर्जी वोटरों पर टिका है।
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