Friday 22 March 2013

पाक प्रस्ताव ः शरारत की इंतहा हो गई है



 Published on 22 March, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
 आतंकवाद को लेकर ढुलमुल रवैया अख्तियार करने के आरोप पाकिस्तान पर लगते रहे हैं। जब भी आतंकवादी जमातों को पाकिस्तान सरकार व सेना से मदद मिलने की बात कही गई हमेशा पाकिस्तान की ओर से यही दलील होती है कि इन जेहादी गुटों का राज व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं और कि जो भी आतंक हो रहा है वह नॉन स्टेट एक्टर कर रहे हैं। लेकिन अब तो खुद पाकिस्तान की संसद एक आतंकी का महिमामंडन कर रही है। गत सप्ताह पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली ने एक प्रस्ताव पारित कर अफजल गुरू को फांसी दिए जाने की निन्दा की। इससे पहले भी पाकिस्तान के कई संगठन अफजल गुरू को फांसी देने का आरोप जता चुके थे। यही नहीं असेम्बली ने यह भी मांग कर डाली कि उसकी लाश  परिजनों को सौंपी जाए। अफजल गुरू भारतीय संसद पर हमले का गुनहगार था। सालों जेल में बन्द रहा और अन्त में कहीं से क्षमादान न मिल पाने के कारण उसे फांसी दी गई। वह भारत का नागरिक था। भारत में जितने भी आतंकवादी हमले हुए उसके तार पाकिस्तान से सीधे जुड़ते थे। लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा इससे इंकार ही किया। अब जब संसद जैसी देश की सप्रभुता की प्रतीक संस्था पर हमले के एक गुनहगार को बाकायदा वर्षों की ट्रायल के बाद फांसी की सजा सुनाई, तो पाकिस्तान को एतराज क्यों? दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह भी है कि अफजल गुरू की फांसी का निन्दा प्रस्ताव पाकिस्तान की संसद में पारित हुआ जो वहां की समूची जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है, क्या इसका मतलब हम यह निकालें कि पाकिस्तान की सभी जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था इस्लामी आतंकवाद को प्रश्रय दे रही है? निश्चित रूप से यह भारत की अंदरूनी व सप्रभुता के मामलों में (दुस्साहसिक) हस्तक्षेप है। पाकिस्तान आखिर एक भारतीय नागरिक और सर्वोच्च संवैधानिक संस्था न्यायपालिका के फैसले की निन्दा के लिए अपनी संसद में प्रस्ताव कैसे पारित कर सकता है? पाकिस्तानी नेशनल असेम्बली में पारित प्रस्ताव जमायत उलेमा इस्लाम के प्रमुख फजीलुर्रहमान ने पेश किया था, जो कश्मीर पर वहां की संसदीय समिति के मुखिया भी हैं। इस प्रस्ताव में अफजल की फांसी की निन्दा करने के साथ ही इस फांसी के चलते कश्मीर घाटी में पैदा हुई स्थिति पर चिन्ता जताई गई है। इस पर भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने ठीक ही कहा कि पाकिस्तान भारत के अंदरूनी मामलों में दखलअंदाजी करने की कोशिश न करे। असेम्बली में यह प्रस्ताव श्रीनगर के बाहरी इलाके में हुए सीआरपीएफ पर फिदायीन हमले के एक रोज बाद पारित हुआ। दोनों घटनाओं में कोई रिश्ता हो या न हो, यह साफ है कि पाकिस्तान संसद की दिलचस्पी कश्मीर मसले को जलाए रखने में है और इसके लिए किसी भी हद तक जाने में उसे संकोच नहीं है। भारतीय संसद ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर पाकिस्तान को खबरदार किया है। संसद मानती है कि यह प्रस्ताव भारत के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान द्वारा सीधा हस्तक्षेप है। जो कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही संसद ने जम्मू-कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताया। भारतीय संसद द्वारा उठाया गया यह कदम अपने देश की सप्रभुता को बचाए रखने का सिर्प `मौखिक' प्रयास है। मगर पाकिस्तान ने जो किया वह भारत की सप्रभुता पर सीधा हमला है। लातों के भूत बातों से नहीं मानते, इसलिए जरूरी है कि भारत अब पाकिस्तान के खिलाफ कुछ सख्त कदम उठाए। भारत को पाकिस्तान से हर तरह के संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए। यहां तक कि पाकिस्तान से व्यापारिक संबंध खत्म करने पर भी सोचा जाए। खेल प्रतियोगिताएं, पाकिस्तानी गायकों, सब पर पाबंदी तत्काल लगनी चाहिए। पाकिस्तान को एक बार समझाना जरूरी है कि  भारत-पाक द्विपक्षीय रिश्ते तभी लाइन पर आ सकते हैं जब पाकिस्तान भारत के खिलाफ आग उगलना बन्द करे। अन्यथा लचीलेपन न केवल हमारे सुरक्षाबलों का मनोबल गिराएंगे बल्कि आतंकवादियों का दुस्साहस बढ़ाएंगे। यह देश की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है।

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