Wednesday, 6 March 2013

अखिलेश सरकार के शासन में बढ़ता आपराधिक ग्रॉफ


 Published on 6 March, 2013 
अनिल नरेन्द्र
 उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज ही नहीं है यह कहना है बसपा सुप्रीमो मायावती का। मायावती ने कुछ समय पहले प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और सपा शासन में लगातार बिगड़ती सांप्रदायिक सद्भाव की स्थिति पर प्रश्न उठाया था। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर  प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे अपराध, बलात्कार और भ्रष्टाचार ने जनता को त्रस्त कर दिया है और राज्यपाल बीएल जोशी से मांग की कि वे अपने स्तर पर इन मामलों को संविधान के परिप्रेक्ष्य में गम्भीरता से लेते हुए खुद जानकारी हासिल करने के बाद राष्ट्रपति से तत्काल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करें। समाजवादी पार्टी की सरकार जब से सत्ता में आई है प्रदेश में हत्या, लूट, अपहरण और बलात्कार की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं और नौ-दस महीने के सपा शासनकाल में प्रदेश के कई भागों में दंगे हो चुके हैं जिससे आम जनता बुरी तरह त्रस्त है। प्रदेश में समाजवादी पार्टी के गुंडे और बदमाश आर्थिक भ्रष्टाचार कर रहे हैं, वह लोग वसूली, जमीनों पर अवैध कब्जा करने में लगे हैं। कानून व्यवस्था की बदहाली के आरोपों को झेल रही उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार सांप्रदायिक हिंसा के मामले में भी कठघरे में खड़ी हो गई है। दो संप्रदायों के बीच भड़की हिंसा के मामलों में पिछले दो साल के दौरान उत्तर प्रदेश का नाम सबसे ऊपर है। गृह मंत्रालय (केंद्र सरकार) के मुताबिक, प्रदेश में पिछले साल अक्तूबर तक ही 104 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में 34 लोगों की जानें गईं। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने हाल ही में राज्यसभा में सांसद मोहम्मद अदीब के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। सिंह ने सदन में  बीते दो साल में देश में हुई सांप्रदायिक हिंसा का ब्यौरा पेश करते हुए आंकड़े पेश किए। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011 में भी उत्तर प्रदेश में ही सबसे अधिक सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं। मंत्रालय ने कहा कि  पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। लिहाजा सांप्रदायिक दंगों से निपटने और इस संबंध में आंकड़े रखने की जिम्मेदारी भी सरकार की है। उत्तर  प्रदेश में जितनी दुर्दशा महिलाओं की है ऐसी शायद ही किसी अन्य राज्य में हो। सिरफिरे मनचलों ने महिलाओं की जिन्दगी नरक बना दी है। पुलिस ने खुद अपनी वेबसाइट पर यह सच स्वीकार किया है। यह जानकर हैरानी बढ़ जाती है कि लोक-लाज के डर से महिलाएं एफआईआर दर्ज कराने से बचती हैं। यूपी पुलिस द्वारा महिलाओं के लिए 15 नवम्बर 2012 में शुरू की गई हेल्पलाइन (1090) के बारे में जानकारी दी गई है। इस सेवा पर एक जनवरी 2013 तक 61 हजार महिलाओं ने सहायता मांगी। इनमें 14 हजार से अधिक मामले छेड़छाड़ और फब्बतियां कसने के निकले। अपहरण, हत्या और बलात्कार के मामले तो आए दिन सुर्खियों में रहते ही हैं। ताजा केस डीएसपी जिया उल हक का है।

No comments:

Post a Comment