Published on 15 March, 2013
अनिल नरेन्द्र
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए सरकार की मुश्किलें
कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट और संसद में कांग्रेस
नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को दोहरे झटके लगे। एक तरफ तो सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में
रिपोर्ट पेश कर बताया कि कोयला खदान आबंटन में गड़बड़ियां हुई हैं। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष
सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा द्वारा किए गए जमीन सौदों पर भाजपा ने संसद में
निशाना साधा। बहुचर्चित कोयला आबंटन घोटाले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई
ने पहली संप्रग सरकार द्वारा कोयला खदान आबंटनों में अनियमितता बरते जाने का आरोप लगाया।
मंगलवार को इस मुद्दे को लेकर सीबीआई और केंद्र सरकार आपस में ही उलझ गईं। सीबीआई ने
अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2006 से 2009 के दौरान कम्पनियों की पृष्ठभूमि की जांच-पड़ताल
के बगैर ही कोयला ब्लॉक का आबंटन किया गया जबकि इन कम्पनियों की ओर से अपने बारे में
कथित रूप से गलत तथ्य पेश किए गए। सुप्रीम कोर्ट तो पहले ही कोयला खदानों के आबंटन
अधिकार पर सवाल उठा चुका है। 24 जनवरी को कोर्ट ने सरकार से कहा था कि उसे इस आबंटन
में विस्तृत `कानूनी सफाई' पेश करनी होगी क्योंकि वर्तमान कानून केवल राज्यों को इस
आबंटन का अधिकार देता है। न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ
ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने कोयला आबंटन के आवेदकों के साथ तय प्रक्रिया का पालन
नहीं किया तो पूरा आबंटन रद्द होगा। सरकार की फजीहत बढ़ाते हुए अदालत ने सीबीआई को
यह सख्त हिदायत भी दे दी कि वह अपनी जांच से जुड़ी जानकारी राजनीतिक नेतृत्व यानी सरकार
से साझा न करे। 2जी के बाद यह दूसरा मौका है जब सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की
साख पर सवाल उठा है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद केंद्र सरकार की मुश्किल इसलिए
और बढ़ गई है क्योंकि जिस समय कोयला खदानों का आबंटन हुआ उस वक्त कोयला मंत्रालय के
प्रभारी खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पाठकों
को याद होगा कि अपनी रिपोर्ट में कोयला खदानों के आबंटन में मनमानी का आरोप लगाने के
साथ एक लाख 86 हजार करोड़ रुपए की राजस्व हानि की बात की थी। अब तो सीबीआई भी यही कह
रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से कथित तौर
पर जुड़े जमीन सौदे को लेकर संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। लोकसभा में भाजपा
नेता हाथों में तख्तियों के साथ वेल तक पहुंच गए जिन पर लिखा था `वित्त मंत्री, दामाद
का फार्मूला अपनाइए, घर बैठे कमाइए और घाटा घटाइए।' भाजपा ने दोनों सदनों में राजस्थान
में वाड्रा द्वारा किए गए जमीन सौदे में अनियमितताओं पर चर्चा कराने की मांग की और
प्रश्नकाल के निलम्बन के लिए नोटिस दिया। ये नोटिस उन रिपोर्टों पर आधारित थे, जिनमें
कहा गया है कि राजस्थान के बीकानेर में रॉबर्ट वाड्रा ने अनुमति से ज्यादा जमीन खरीद
कर कानून का उल्लंघन किया है। यह दूसरा मौका है जब रॉबर्ट वाड्रा जमीन के कारोबार के
मामले में आरोपों से घिरे हैं। इससे पहले वाड्रा को हरियाणा में जमीन खरीद के मामले
में कठघरे में खड़ा किया गया था। इस बार राजस्थान के बीकानेर जिले की 46 एकड़ जमीन
को लेकर हंगामा हो रहा है। कांग्रेस की ओर से सफाई देते हुए प्रवक्ता रेणुका चौधरी
ने कहा कि यदि यह भूमि सौदे राज्य सरकारों का मामला है, जिनके बारे में वे और राज्यों
की जांच एजेंसियां देखेंगी। वह (वाड्रा) राजनेता नहीं, एक सामान्य व्यक्ति हैं। संसद
क्यों उन पर बहस करे? निजी व्यक्ति पर बहस कराकर नई नीति की नींव नहीं डालना चाहते।
संसद का बजट सत्र चल रहा है। विपक्ष इन दोनों मामलों को उछालेगा और सरकार की मुश्किलें
और बढ़ेंगी।
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