Sunday 26 April 2020

लॉकडाउन ः अग्नि- परीक्षा के 30 दिन

दो दिन पहले एक पाठक प्रीति पांडे का यह मैसेज सामने आया। प्रस्तुत हैं उसके कुछ अंश। लॉकडाउन के 30 दिन पूरे हो चुके हैं। अब तीन मई को पता चलेगा कि लॉकडाउन आगे बढ़ेगा या नहीं? हमें तो लगता है कि शायद यह आगे बढ़ेगा, यह हो सकता है कि कुछ क्षेत्रों में जहां कोरोना संक्रमण न के बराबर हुआ है या जो पूरी तरह क्लियर हो चुके हैं वहां थोड़ी ढील दी जाए। इस लॉकडाउन में आपने अपना दिन कैसे गुजारा है? मुझे लगता है कि पिछले एक महीने में हम सुबह उठकर सबसे पहला काम बाथरूम में जाकर निवृत्त होकर टीवी खोलकर बैठ जाते हैं और न्यूज चैनलों को देखना हमारी दिनचर्या का सबसे पहला काम बन गया है। कहां कितने लोगों को कोरोना हुआ, कितने मरे, कितने इलाके सील हुए, क्या खुला और क्या बंद हुआ? इन्हीं के आसपास हमारी जिंदगी घूम रही है। वॉट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक और यहां तक कि जोक्स कुछ भी देख लो हर जगह बस कोरोना ही कोरोना नजर आता है। हर कोई कोरोना पर अपना ज्ञान बांटने को बैठा है और आप उसे समेटने में। सोचिए जब दिन की शुरुआत ही मौत के भय के साये में हो तो आपका दिन कैसे बीतेगा? खबरें देखने में कोई बुराई नहीं है। यकीनन हमारे आसपास क्या हो रहा है हमें पता होना चाहिए। आंखें बंद कर लेने से हम सच्चाई से नहीं भाग सकते लेकिन हर समय खबरों में रहना और वही सुनते रहना आपको दिमागी रूप से परेशान कर सकता है। आजकल किसी भी न्यूज चैनल की पहली और आखिरी खबर कोरोना से शुरू होकर कोरोना पर ही खत्म हो रही है, क्योंकि देश में अभी फिलहाल इससे बड़ी शायद ही कोई अन्य समस्या हो। हमें कोरोना से डरना नहीं बस हमें सतर्प रहना है। आज दुर्भाग्य से हालात ऐसे हो गए हैं कि लोगों के चेहरों पर एक दहशत-सी छाने लगी है जो अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। अगर आप दिमागी रूप से मजबूत हैं तो आप बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाल सकते हैं। आपने अकसर सुना होगा कि जब हम सारा टाइम नेगेटिव बातें सुनते हैं या बोलते हैं तो कहीं न कहीं हमारे अंदर भी एक नेगेटिविटी आ जाती है। उसका असर यह होता है कि आप स्ट्रेस से घिर जाते हैं और यह बात सभी जानते हैं कि स्ट्रेस आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। इसलिए जरूरी है कि आप कोशिश करें कि तनावमुक्त रहें। इस बात से कोई दो राय नहीं है कि कोरोना एक गंभीर समस्या है, ऐसी समस्या है जिसका हमें अपनी जिंदगी में पहली बार अनुभव हुआ है और कोई भी देश इससे अछूता नहीं है। यह समस्या कब तक रहेगी यह भी पता नहीं तो फिर आप उपर वाले को धन्यवाद करें और मस्त रहें। लॉकडाउन का सख्ती से पालन करें। सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें। आपका जितना घर में रहना जरूरी है उतना ही जरूरी है तनावमुक्त रहना और अपने परिवार को पॉजिटिव थिंकिंग में लगाए रखना। सच तो यह है कि आपके न्यूज देखने या न देखने से आंकड़ों पर कोई फर्प नहीं पड़ने वाला। केस उतने ही आएंगे जितने आ रहे हैं। लेकिन बार-बार देखने से आंकड़ों पर तो नहीं आपके दिल-दिमाग पर जरूर असर पड़ता है और यह चिंता का विषय जरूर है। इसलिए अपने दिमाग को कहिए कि वह अपने आपको व्यस्त रखे और दिल से कहिए कि ऑल इज वैल।

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