Tuesday, 7 April 2020

इंसान घरों में जानवर सड़कों पर

कोरोना वायरस प्रकोप पर लगाम लगाने के मद्देनजर देशभर में प्रभावी लॉकडाउन के चलते नगरवासियों को जहां प्रदूषण से राहत मिली है, हवा साफ है, सड़कों पर शोरगुल शांत है वहीं चिड़ियों की चहचहाट फिर से सुनाई दे रही है। तेंदुए, हाथी से लेकर हिरण तक और यहां तक कि बिलाव जैसे जंगली जानवरों को भी शहरी भारत के कई हिस्सों में नजर आने की खबरें भी सामने आ रही हैं। कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते जहां इंसान घरों में कैद है वहीं पक्षी और जानवर उन इलाकों में फिर से नजर आने लगे हैं जो कभी उनके हुआ करते थे। यह सोचना सुखद है कि प्रकृति अपने घाव भर रही है, खासकर 24 मार्च से प्रभावी हुए अभूतपूर्व बंद के बाद से। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह सब अच्छी खबर नहीं है क्योंकि शहरी केंद्रों में जंगली जानवरों का नजर आना जारी है। इसी हफ्ते की शुरुआत में चंडीगढ़ की सड़कों पर एक तेंदुआ घूमता नजर आया था। लॉकडाउन के बाद से नोएडा के टीजीआईपी मॉल के पास एक नीलगाय को सड़क पार करते देखा गया, हरिद्वार में सांभर हिरण को सैर करते, गुड़गांव के निवासियों ने गलेरिया मार्केट में मोरों को पकड़ा और केरल के कोझिकोड में बिलाव दिखने और वानयाड में हाथी देखे जाने की खबरें सामने आई हैं। पर्यावरणविद वंदना शिवा ने उसकी तुलना प्रवासी मजदूरों के शहरों से गांवों की तरफ पलायन से करते हुए कहाöजंगल से शरणार्थी शहरों की तरफ आ रहे हैं क्योंकि हमने उनके घरों में घुसपैठ की है। शिवा ने कहाöहमने अन्य जीवों से उनके घर व भोजन छीन लिए हैं। वन्यजीव जिनका घर जंगल है, उनका शहरी इलाकों में आना अच्छा संकेत नहीं है। अब विस्थापित जानवर, जंगलों से शरणार्थी शहरों में आने का साहस जुटा रहे हैं जब सैकड़ों गाड़ियां और इंसान नदारद हैं। उन्होंने कहा कि श्रमिकों की तरह गांव से शहर आए और अब दोबारा गांव जा रहे हैं उसी तरह जानवर भी शहरी इलाकों को छोड़ देंगे या उन्हें मार दिया जाएगा। प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा ने कहा कि इस पलायन का कारण जंगलों में इंसानों की घुसपैठ और जानवरों के लिए खाने का आभाव है। बहुगुणा ने कहा कि प्राचीन समय में मिश्रित जंगल होते थे जहां लोग और जानवर तालमेल बनाकर रहते थे। हमारी संस्कृति कहती है कि सभी जानवर हमारा परिवार है। सरकार ने जंगलों को केवल कारोबार के मकसद से इस्तेमाल किया है। जानवरों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है और भूख के कारण से वह सड़कों पर आ रहे हैं। हमारी कॉलोनी में तो वॉक करते हुए दो-तीन लोगों को कुत्तों ने काटा है। इसकी वजह यह लगती है कि तमाम ढाबे, रेस्तरां बंद होने से, लॉकडाउन होने से पहले लोग बचा हुआ खाना कुत्तों को खिला देते थे। लॉकडाउन की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है और कुत्ते-बिल्लियां भूखी हैं।]़
-अनिल नरेन्द्र

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