Saturday 18 April 2020

एक बार फिर प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतरे

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की प्रधानमंत्री की घोषणा के कुछ ही घंटे बाद मुंबई और सूरत में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए, रेलवे स्टेशनों की तरफ हजारों ने कूच करना शुरू कर दिया। यह सभी लोग अपने घर जाने की जिद पर अड़ गए। वहीं महाराष्ट्र और गुजरात की सरकारें उन्हें मनाने में जुट गईं। प्रवासियों की मांग थी कि उन्हें उनके मूल स्थानों पर जाने के लिए परिवहन व्यवस्था की जाए। हालांकि बाद में महाराष्ट्र और गुजरात प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में बताया। मुंबई में पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार करीब 1000 दिहाड़ी मजदूर बांद्रा बस डिपो पर सड़क पर बैठ गए। दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराये पर रहते हैं। वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वहीं पुलिस ने एक हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एक मजदूर ने अपना नाम बताए बिना कहा कि एनजीओ और स्थानीय निवासी प्रवासी मजदूरों को भोजन मुहैया करा रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान अपने मूल राज्यों में वापस जाना चाहते हैं। क्योंकि लॉकडाउन में उनकी आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है। सरकार को हमारे लिए व्यवस्था करनी चाहिए। अधिकारी ने कहा कि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए विरोध स्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों ने उनके भोजन की व्यवस्था की है। लेकिन उनमें से अधिकतर पाबंदियों के चलते हो रही दिक्कतों के चलते अपने मूल स्थानों को वापस जाना चाहते हैं। सूरत में भी सैकड़ों प्रवासी श्रमिक गांव जाने की मांग को लेकर मंगलवार को फिर से सड़क पर आ गए। पुलिस ने कहा कि प्रवासी श्रमिक सूरत शहर के वराधा इलाके में इकट्ठे हुए और सड़क पर बैठ गए। इससे पहले प्रवासी श्रमिकों ने शुक्रवार को सूरत में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें मांग की गई थी कि उन्हें मूल स्थानों पर भेजा जाए। मजदूरों के सड़क पर आ जाने के बाद महाराष्ट्र के सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। महाराष्ट्र में पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह प्रवासी मजदूर भोजन और आवास नहीं चाहते हैं, वह अपने घर जाना चाहते हैं। उधर भाजपा नेता और राज्य के पूर्व मंत्री आशीष शेलर ने कहा कि मजदूरों का विरोध यह दिखाता है कि राज्य की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार लॉकडाउन लागू करने में पूरी तरह विफल हुई हैं। वहीं भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। उद्धव ठाकरे सरकार इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में असफल रही है। सरकार को लोगों के लिए भरपूर व्यवस्था करनी चाहिए। हालांकि कांग्रेस विधायक जाशीन सिद्दीकी ने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं है।

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