जिस तरीके से अपनी जान की बाजी लगाने वाले डॉक्टरों, नर्सों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले हो रहे हैं उस पर
अंकुश लगना अतिआवश्यक था। हमले के उनके साथ हो रहे बुरे बर्ताव को देखते हुए कानूनी
प्रावधानों को सख्त करने के अलावा और कोई कारगर उपाय करना अतिआवश्यक हो गया था। इसलिए
सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज में जुटे डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों को सात साल तक की जेल
हो सकती है। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को ऐसी घटनाओं को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दी। इसके जरिये 123 साल पुराने महामारी कानून में सख्त प्रावधान जोड़े गए हैं। राष्ट्रपति के दस्तखत
(जो हो जाएंगे) होते ही यह लागू हो जाएगा।
फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि डॉक्टरों और
नर्सों पर हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। स्वास्थ्य कर्मी काफी समय से अध्यादेश की
मांग कर रहे थे। डॉक्टरों पर हमलों को देखते
हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आंदोलन की चेतावनी दी थी। लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री
अमित शाह ने बुधवार सुबह ही उन्हें सुरक्षा
का भरोसा दिया। इसके बाद आईएमए ने विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया। गृहमंत्री अमित शाह
और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आईएमए के डॉक्टरों
से वीडियो कांफ्रेंसिंग में अपील की थी कि वह अपनी सांकेतिक प्रदर्शन न करें। सरकार
पूरी तरह उनके साथ है और जल्द डॉक्टरों की सुरक्षा और समस्याओं पर कानून लाएंगे। फिर
हुई कैबिनेट मीटिंग में कानून को मंजूरी दे दी गई। बताते हैं कि इस कानून का ड्राफ्ट
कुछ महीनों से सरकार के पास ही था। कुछ प्रावधानों पर सहमति न बनने से इसे पास नहीं
किया जा सका था। अध्यादेश पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि स्वास्थ्य
कर्मियों की सुरक्षा का सरकार का पक्का इरादा है। महामारी अधिनियम में संशोधन से स्वास्थ्य
कर्मियों की सुरक्षा और उनके रहने और काम करने की जगह पर हिंसा से बचाने में मदद मिलेगी।
यह पूछे जाने पर कि कोरोना संकट के बाद भी क्या यह बदलाव लागू रहेंगे, जावड़ेकर ने सीधा जवाब नहीं दिया और कहा कि यह अच्छी शुरुआत है। इस कानून के
तहत आरोपी पर ही बेगुनाही साबित करने की जिम्मेदारी होगी। बाकी कानून में जांच एजेंसी
को दोष साबित करना होता है। यह कानून तब तक लागू रहेगा, जब तक
महामारी घोषित रहेगी। इसके बाद भी अगर कोई राज्य सरकार महामारी घोषित करती है तो यह
कानून लागू माना जाएगा। कोरोना के खिलाफ जंग में असहयोग करने वाले, अभद्रता करने पर आजाद तत्वों का दुस्साहस कितना बढ़ गया है, यह इससे पता चलता है कि वह डॉक्टरों, नर्सों को तो छोड़िए
पुलिस पर भी सीधा हमला करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इंदौर, मुरादाबाद,
अलीगढ़ के साथ कुछ अन्य शहरों में डॉक्टरों के साथ पुलिस पर हमले की
घटनाएं गलतफहमी का परिणाम मानना एक भूल ही होगी। यह घटनाएं तो किसी सुनिश्चित दुप्रचार
का हिस्सा जान पड़ती है। पुलिस पर हमला तो कानून के शासन पर आघात है। हम सरकार के इस
कदम का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इस सख्त कानून के रहते अब डॉक्टरों,
नर्सों व स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस पर हमले बंद
हो जाएंगे।
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