जहां
कई देश कोरोना से बचाव के लिए पूरी तरह लॉकडाउन जैसे उपाय अपना रहे हैं, वहीं पाकिस्तान सरकार ने देश में आंशिक
लॉकडाउन किया है। प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि पूरी तरह लॉकडाउन संभव नहीं
है। लोग स्वेच्छा से घर में रहें। इमरान जिस कठिनाई की बात कर रहे हैं, उसका अनुमान देशभर के मजदूरों की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है। इस्लामाबाद
के जिन्ना सुपर मार्केट में दिहाड़ी मजदूर इस्माइल शाह (37) कहते
हैंöमेरे परिवार ने चार दिनों से पेटभर खाना नहीं खाया। हफ्तेभर
से मैंने एक रुपया नहीं कमाया। इस्माइल पाक के उन लाखों लोगों में से एक हैं जो निर्माण
कार्य जैसे क्षेत्रों में मजदूरी कर घर चलाते हैं। अब इन लोगों को काम नहीं मिल रहा
है। इस्लामाबाद में बाजार, सार्वजनिक परिवहन, अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय बंद हैं। भारत, ईरान और अफगानिस्तान सीमाएं सील कर दी गई हैं। सरकार ने मस्जिदों में शुक्रवार
की सामूहिक नमाज बंद करने के आदेश दिए हैं। इसका कई मौलवी विरोध कर रहे हैं। कुछ दिनों
पहले लाहौर में तीन दिवसीय धार्मिक सम्मेलन हुआ था। इसमें करीब एक लाख 50 हजार लोग शामिल हुए थे। इनमें से कई लोग यूएई, फिलिस्तीन
और मध्य एशिया से आए थे। पाक में अब तक 2386 मामले आ चुके हैं।
32 मौतें हो चुकी हैं और यह आंकड़ा बढ़ रहा है। इस्लामाबाद में
कम्युनिटी हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. जीशान का कहना है कि मेडिकल उपकरणों
की कमी के कारण कोरोना से मुकाबला करना कठिन होता जा रहा है। हेल्थ केयर सिस्टम फेल
हो चुका है। यहां हर पांच हजार लोगों पर एक बैड है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र भी कह
रहे हैं कि पाकिस्तान में सिर्प 25 हजार टेस्टिंग किट हैं। सरकार
ने एक लाख टेस्टिंग किट खरीदने का ऑर्डर दिया है। 14 लेबोरेट्री
में सैंपल की जांच की जा रही है। करीब 22 हजार संदिग्धों को टेस्ट
रिपोर्ट का इंतजार है। कराची के आगा खान यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल जैसे अस्पतालों ने नए
सैंपल लेने से इंकार कर दिया है। इधर इस्लामाबाद में चार सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों
ने हड़ताल की चेतावनी दी है। युवा डॉक्टर संगठन के चेयरमैन का कहना है कि अगर उन्हें
पर्याप्त पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्पिमेंट (पीपीई) नहीं मिले तो वह हड़ताल पर चले जाएंगे। अस्पतालों में कोरोना मरीजों और अन्य
के लिए एक ही रास्ता रखा गया है। यहां प्रबंधन में बड़ी लापरवाही बरती जा रही है। प्रशासन
ने मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए विशेष व्यवस्था की है। पुलिस और स्वास्थ्य मंत्रालय
के अधिकारियों की निगरानी में शव सीधे अस्पताल से कब्रिस्तान भेजे जा रहे हैं। मृतकों
के परिवार के सदस्यों को भी अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं दिया जा रहा है।
-अनिल नरेन्द्र
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