Saturday 18 April 2020

किसी को किराये की चिंता, कहीं निकाले जाने का डर

राजधानी में काफी संख्या में ऐसे छात्र हैं जो लॉकडाउन के बाद अपने घरों पर नहीं जा पाए। विभिन्न कारणों से छात्र यहीं रुके हुए हैं। कई इलाकों में पेइंग गेस्ट (पीजी) या किराये के मकान में रुके छात्रों को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। यह छात्र खुलकर अपनी बात भी नहीं रख पा रहे हैं कि कहीं ऐसा न हो कि मकान मालिक उन्हें बाहर निकाल दे। दिल्ली में काफी संख्या में बाहरी राज्यों के छात्र रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान कोई प्रतियोगी परीक्षा तो कोई विश्वविद्यालय में चलने वाली कक्षा के कारण यहीं रुक गया था। किसी को कोचिंग करनी थी तो किसी को ट्यूशन पढ़ानी थी। कोई खुद किसी स्कूल में बतौर शिक्षक काम कर रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे युवक मुखर्जी नगर, सिविल लाइंस, मुनिरका, लक्ष्मीनगर, विजय नगर, जीटीबी नगर, बेर सराय, कमला नगर सहित अन्य इलाकों में पीजी या किराये के मकान में रहते हैं। अब कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से उन्हें समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। मीडिया ने इन इलाकों में रहने वाले लोगों से फोन पर संपर्प कर उनकी परेशानियों को जानने का प्रयास किया। ज्यादातर ने मकान मालिकों की ओर से किराया देने का दबाव बनाने की बात की। वहां एक पीजी संचालक ने कहा कि वह उनके यहां रहने वाले बच्चों पर किसी तरह का दबाव नहीं बना रहे हैं। विजय नगर में पीजी का संचालन करने वाले राजपाल सिंह का कहना है कि उनके यहां कुल 400 छात्रों के रहने की व्यवस्था है। हालांकि अभी उनके यहां बस 25 बच्चे बचे हैं। ऐसे में कई छात्रों का फोन आ रहा है और वह कह रहे हैं कि हमारा सामान है, जब हम आएंगे तो किराया देंगे। सिंह ने कहा कि जो वर्तमान स्थिति है उससे हम सब वाकिफ हैं। ऐसे में हम किसी पर किराया या अन्य चीज को लेकर दबाव नहीं बना रहे हैं। पिछले दिनों कुछ डॉक्टरों की भी ऐसी ही समस्या थी। मकान मालिक कह रहे थे कि या तो किराया दो या खाली कर दो। ऐसे कठिन समय में जब पूरा देश प्रभावित है तो मकान मालिकों को थोड़ी दरियादिली दिखानी चाहिए और किराये के लिए जोर नहीं देना चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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