Friday, 3 April 2020

जब रिश्तेदार नहीं आए तो पड़ोसी मुस्लिमों ने उठाई हिन्दू की अर्थी

फिरकापरस्तों को शायद यह खबर रास न आए, लेकिन इंसानियत के पुजारियों ने मिसाल कायम की। कोरोना के महासंकट से लड़ने के लिए जाति-धर्म की दीवार तोड़कर लोग एक दूसरे के मददगार बन रहे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ने भाईचारे व हिन्दु-मुस्लिम एकता का बड़ा संदेश दिया है। लॉकडाउन के बीच हिन्दू परिवार में एक व्यक्ति की मौत हो गई। शव घर में रखा था, लेकिन अर्थी को चार कंधे नसीब नहीं हो रहे थे। रिश्तेदारों को भी फोन किया लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन आड़े आ गया। ऐसे में पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोगों ने दिवंगत की अर्थी को कंधा देकर मोक्षधाम पहुंचाया। रास्तेभर राम नाम सत्य भी बोला। विधि-विधान से अंतिम संस्कार कराया और फूल चुनने भी पहुंचे। नगर के आनंद विहार साठा में रविशंकर परिवार के साथ रहते थे। वह काफी समय से कैंसर से पीड़ित थे। गुरुवार शाम उनका अस्पताल में निधन हो गया। परिजन रात के समय शव को लेकर घर आ गए और रिश्तेदारों को सूचना दी लेकिन कोरोना का डर व लॉकडाउन के चलते शुक्रवार दोपहर तक भी कोई रिश्तेदार नहीं आ सका। इस मुश्किल घड़ी में पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग आगे आए और अपने हाथों से अर्थी तैयार की। अन्य क्रियाओं के बाद मुस्लिमों ने अंतिम यात्रा शुरू की। मुस्लिम समाज के युवाओं ने कंधा देकर अर्थी को मोक्षधाम तक पहुंचाया। बाद में रीति-रिवाज के साथ चिता सजाई। इसके बाद दिवंगत के पुत्र विकास कुमार ने मुखाग्नि दी। रविवार को फूल चुनने के दौरान भी मुस्लिम समाज के लोगों ने साथ दिया और वहीं रहे। जिसने भी यह देखा, बोल पड़ा कि कौन कहता है कि देश के लोगों में एकता नहीं है। अंतिम यात्रा में शामिल रहे जाहिद अली प्रधान ने बताया कि रविशंकर के साथ ही मोहल्ले में रहने वाला हर हिन्दू हमारा भाई है, अपना है। हम एक-दूसरे के सुख-दुख के साक्षी रहे हैं। रविशंकर के अचानक जाने से हम सब गमगीन हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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