वैश्विक महामारी
कोरोना को लेकर दहशत में है। होना भी चाहिए, क्योंकि
अब तक पूरे विश्व में 76000 से ऊपर इसके शिकार हो चुके हैं। बेशक
हाल के दिनों में जिस तरह इसका संक्रमण बढ़ा है उससे हर कोई घबराया हुआ है। पूरी दुनिया
में तबाही मचाने वाले इस कोविड-19 संक्रमण को लेकर वैज्ञानिक
पर्दा उठाने की जितनी कोशिश कर रहे हैं, यह बीमारी उतनी ही उलझती
दिखाई दे रही है। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि कोविड-19 संक्रमित करीब 25 प्रतिशत लोगों में बीमारी के लक्षण
आखिर तक प्रकट नहीं होते हैं, लेकिन ऐसे लोग अनजाने में बीमारी
फैला रहे हैं। संभवत इस बीमारी के फैलाव का सबसे बड़ा कारण ही यह है क्योंकि चार में
से एक रोगी की पहचान ही नहीं हो पाती है। साइंस अलर्ट जर्नल में प्रकाशित एक शोध के
अनुसार चीन और अन्य देशों में बिना लक्षणों वाले मरीजों पर कई शोध हो चुके हैं। इनमें
दो तरह के रोगी दिखे हैं। कुछ रोगी ऐसे हैं जिनमें शुरुआत में लक्षण नहीं दिखते हैं
लेकिन एक-दो सप्ताह के बाद दिखने लग जाते हैं। चार में से एक
यानि करीब 25 प्रतिशत रोगी ऐसे हैं जिनमें आखिर तक बीमारी के
लक्षण नहीं दिखते हैं। पर दूसरी ओर गुड न्यूज यह है कि यदि दिल्ली के अस्पतालों में
भर्ती मरीजों के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 10 मरीजों की ही
हालत गंभीर है। इसमें से भी सिर्प 6.62 प्रतिशत मरीज ही आईसीयू
में हैं। 90 प्रतिशत मरीज की हालत स्थिर है। इसलिए लोगों को कोरोना
से घबराने की जरूरत नहीं है। सिर्प शारीरिक दूरी व घर में क्वारंटाइन रहने के नियम
का पालन करते रहें। डॉक्टर भी कहते हैं कि 80 से 85 प्रतिशत मरीजों में माइल्ड संक्रमण देखा जा रहा है। इसलिए लोगों को डरने की
जरूरत नहीं है। हाथ की स्वच्छता और आइसोलेशन में रहकर इस बीमारी के संक्रमण से बचा
जा सकता है। दिल्ली में मौजूदा समय में 525 मामले सामने आए हैं
जिनमें से 498 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। इनमें से
33 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं और 15 को ऑक्सीजन
सपोर्ट पर रखा गया है। अन्य सभी मरीजों की हालत स्थिर बनी हुई है। दिल्ली में अभी तक
मृत्युदर भी डेढ़ प्रतिशत से भी कम है। इनमें भी ज्यादातर बुजुर्ग, मधुमेह व हाइपरटेंशन से पीड़ित लोग हैं। बस अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक
रखना है। 60 से अधिक उम्र के लोग मधुमेह, हाइपरटेंशन, हार्ट व अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग अपनी
पुरानी बीमारी को दवा से नियंत्रित रखें। ऐसी स्थिति में यदि संक्रमण होता भी है तो
वह ठीक हो सकता है। काफी लोग ठीक होकर इस बीमारी से बाहर आए हैं। यह एक नया वायरस है।
इसलिए आने वाले दिनों में क्या स्थिति रहेगी यह कहना मुश्किल है। फिर भी यह देखा गया
है कि सांस से जुड़ी अन्य वायरल संक्रमण की बीमारियां गर्मी में बहुत कम हो जाती हैं।
वैसे भी जिन देशों में ठंड अधिक है वहां संक्रमण ज्यादा देखा गया है। इसलिए आने वाले
दिनों में यहां कुछ राहत भारत को मिल सकती है। बस अपना ख्याल रखें और बीमारी के बारे
में ज्यादा न सोचें। कम से कम मैं तो यही कर रहा हूं।
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