21 दिनों का लॉकडाउन जैसे-जैसे अपने अंतिम पड़ाव की तरफ बढ़ रहा है, सरकार की दुविधा
भी बढ़ रही है कि 21 दिन के बाद यह लॉकडाउन जारी रखें या पार्शियल
लॉकडाउन करें? बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसद के
दोनों सदनों में सभी दलों के नेताओं के साथ जो बैठक हुई और उससे पहले कोविड-19
पर गठित मंत्रिसमूह की बैठक हुई तो उसमें कई सुझाव मिले। मंत्रिसमूह
ने स्कूल-कॉलेज, शॉपिंग मॉल और धार्मिक
स्थल 15 मई तक बंद रखने की सिफारिश की है। सूत्रों के अनुसार
मंत्रिसमूह की राय है कि लॉकडाउन 14 अप्रैल से आगे नहीं बढ़ने
की सूरत में भी यह गतिविधियां बंद ही रहनी चाहिए। साथ ही धार्मिक केंद्रों और मॉल जैसे
सार्वजनिक स्थानों पर ड्रोन से भीड़ की निगरानी की जानी चाहिए। सरकार के सामने अब यह
सवाल है कि लॉकडाउन का क्या किया जाए? इसे ऐसे ही कुछ समय के
लिए और जारी रहने दिया जाए या कुछ हद तक कम या खत्म किया जाए? अभी स्थिति यह है कि हर दिन के साथ कोरोना संक्रमितों की संख्या में पांच सौ
या इससे ज्यादा की बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन दूसरी तरफ लॉकडाउन के कारण सारी आर्थिक
गतिविधियां ठप हैं, जिससे अंदर ही अंदर एक ऐसे संकट को मजबूती
मिल रही है, जो आगे चलकर विस्फोटक रूप ले सकता है। इनके अलावा
तीसरा फैक्टर यह है कि खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लॉकडाउन को कोरोना से लड़ने
का पर्याप्त उपाय नहीं माना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेंसिंग के
जरिये सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस मसले पर चर्चा कर चुके हैं जिसमें तय हुआ
कि जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर लॉकडाउन हटाने का प्लान भेजा जाए। सभी राज्य
अपनी-अपनी रिपोर्ट केंद्र को भेजेंगे और उसके आधार पर केंद्र
सरकार फैसला लेगी। ऐसे कठिन समय में एक बड़ी जरूरत यह होती है कि बड़े फैसलों में राजनीतिक
आम सहमति बनाई जाए। लॉकडाउन बहुत जल्दी में लागू करना पड़ा था, तब ऐसी सहमति बनाने के लिए वक्त नहीं था। उस समय बहुत तेजी से फैसले का दवाब
था, जिसकी वजह से कई ऐसी चीजें छूट गईं, जिनकी वजह से सरकार की आलोचना भी हुई। लेकिन अब जब चन्द रोज का समय बाकी है।
तब सरकार सबकी सलाह का ध्यान रख रही है। कुछ छोटी-मोटी चीजों
को छोड़ दें तो इस संकट के समय विपक्षी दल भी पूरी तरह सरकार के फैसलों के साथ खड़े
दिखाई दे रही है। अभी जैसा लग रहा है, पूरे देश से एक साथ लॉकडाउन
खत्म नहीं किया जाए। सरकार की योजना है कि जिन जगहों पर कोरोना के केस ज्यादा पाए गए
हैं वहां लॉकडाउन जारी रखा जाए। संक्रमण की मात्रा के आधार पर राज्यों को चार कैटेगरी
में बांटा जाएगा और उसी हिसाब से अलग-अलग राज्यों या फिर जिलों
में लॉकडाउन हटाने और विभिन्न सेवाएं शुरू करने के बारे में सोचा जाएगा। इनमें ज्यादा
एक्टिव कोरोना वाले इलाकों में लॉकडाउन से कोई छूट नहीं दी जाएगी लेकिन जिन राज्यों
में पिछले सात-आठ दिनों से कोरोना का कोई भी मामला सामने नहीं
आया हो, वहां राहत मिल सकती है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि ज्यों-ज्यों लॉकडाउन की अवधि बढ़ेगी, समाज के कमजोर वर्ग की
मुश्किलें भी बढ़ेंगी। अभी तो चलो यह तबका किसी तरह जीवन-यापन
कर रहा है लेकिन आखिर कब तक इस तरह बैठे रहेंगे?
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