गुणवत्ता के दावों के साथ चीन से आई रैपिड टेस्ट किट
पहली नजर में फेल होती दिख रही है। इस किट से मिले नतीजों में 6 से 71 प्रतिशत
तक अंतर है। किट की गुणवत्ता की जांच के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अपने आठ संस्थानों के सदस्यों को फील्ड
में भेजने का फैसला किया है। यह सदस्य गड़बड़ी की शिकायत वाले इलाकों में जाएंगे और
वहीं रैपिड टेस्टिंग किट की जांच करेंगे। पिछले हफ्ते ही चीन से 6.5 लाख रैपिड टेस्टिंग किट आई थी। कोरोना वायरस की जांच का सबसे बड़ा हथियार मानी
जा रही रैपिड टेस्ट किट फेल हो गई है। राजस्थान में मंगलवार को इस पर रोक लगा दी। राजस्थान
ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह जानकारी दी। उन्होंने
बताया कि जयपुर के एसएमएस में भर्ती कोरोना के 100 मरीजों की
इस रैपिड टेस्ट किट से जांच की गई जिसमें सिर्प पांच ही पॉजिटिव मिले। इसे देखते हुए
फैसला लिया गया है। इतना ही नहीं 10 लाख में से शेष 8
लाख रैपिड किट की खरीद भी रोक दी गई है। इन किट्स की एक्यूरेसी (शुद्धता) 90 प्रतिशत होनी चाहिए थी लेकिन कमेटी की रिपोर्ट
के अनुसार सिर्प 5.4 प्रतिशत ही आ रही है। यानि कई संक्रमितों
को भी यह नेगेटिव बता रही है। उन्होंने बताया कि सरकार ने आईसीएमआर को लिखा है कि हम
किट लौटाएंगे। उधर आईसीएमआर ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वह अगले 2 दिन तक कोरोना रैपिड टेस्ट किट का इस्तेमाल न करें। आईसीएमआर के आर.
गंगाखेड़कर ने कहा कि रिजल्ट में बहुत भिन्नताएं आ रही थीं, इसके चलते अब आईसीएमआर के 8 इंस्टीट्यूट की टीमों द्वारा
मौके पर ही किट का परीक्षण करने के बाद 2 दिनों में एडवाइजरी
जारी की जाएगी। आईसीएमआर को पश्चिम बंगाल से भी रैपिड किट की शिकायत मिली थीं। यह किट
चीन से मंगवाई गई थीं। चीन से भेजी जा रही टेस्टिंग किट, मास्क
और अन्य मेडिकल उपकरणों की गुणवत्ता सवालों में घिर गई है। इससे पहले स्पेन और तुर्की
भी टेस्टिंग किट से सही नतीजे न आने की शिकायत करते हुए इसे वापस कर चुके हैं। वहीं
नीदरलैंड ने भी अपने कर्मचारियों के लिए 6 लाख मास्क मंगवाए थे।
दावा किया गया था कि यह मास्क उच्च गुणवत्ता के हैं, लेकिन नीदरलैंड
के मुताबिक कई मास्क साइज में छोटे थे तो कई के फिल्टर ठीक नहीं थे। इसलिए इन सभी मास्कों
को चीन को वापस भेज दिया गया है। सारी दुनिया जानती है कि चीनी माल सब स्टैंडर्ड होता
है, बस सस्ता होने के कारण उसकी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया
जा सकता। हम ह्यूमन लाइफ की यहां बात कर रहे हैं जिसमें कोई समझौता नहीं हो सकता।
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