Thursday, 23 April 2020

पालघर लिंचिंग ः मामले की तह तक पहुंचना जरूरी

महाराष्ट्र के पालघर के गढ़चिंचली इलाके में दो साधुओं सहित तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या की घटना ने देश को चौंका दिया है। गुरुवार को करीब 200 लोगों की भीड़ ने चोर के शक में दो संतों और उनके ड्राइवर को लाठी-डंडे से पीट-पीटकर मार डाला। इस मॉब लिंचिंग में मारे गए लोगों की  पहचान सुशील गिरी महाराज, चिकने महाराज कल्पवरुक्षगिरी और ड्राइवर नीलेश तेलगाड़े के तौर पर हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक दोनों साधु पालघर के  गढ़चिंचली गांव में जब इंटिरयर रोड से होते हुए मुंबई से गुजरात की ओर जा रहे थे तभी किसी ने अफवाह उड़ा दी कि कुछ चोर भाग रहे हैं। इसके बाद दर्जनों लोगों की भीड़ उनके ऊपर टूट पड़ी। बताया जाता है कि यह पूरी घटना वहां मौजूद पुलिस कर्मियों के सामने हुई लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। कुछ न करना तो अलग  बात है लेकिन जब भीड़ संतों को डंडों से मार रही थी तो पुलिस वाला वहां से भाग गया। पालघर में साधुओं की हत्या के  बाद संत समाज में काफी गुस्सा स्वाभाविक है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इस मामले में सभी आरोपियों को सजा नहीं दिलाई गई तो महाराष्ट्र में बड़ा आंदोलन होगा। इस मामले में भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने ट्वीट करते हुए कहा है कि सभी आरोपियों पर रासुका लगाया जाना चाहिए। राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को जांच के आदेश दिए जाने की जानकारी देते हुए इस घटना को कोई सांप्रदायिक रंग नहीं देने की भी चेतावनी दी। सीएम ठाकरे ने बताया कि यह सही है कि साधुओं के साथ घटना महाराष्ट्र के पालघर में हुई। लेकिन गढ़चिंचली इलाका जिला मुख्यालय से करीब 110 किलोमीटर दूर केंद्र शासित राज्य दादरा-नगर हवेली से चन्द मीटर दूर है। दोनों साधु लॉकडाउन की वजह से दुर्गम रास्ते से गुजरात जा रहे थे। दादरा-नगर हवेली बॉर्डर पर साधुओं को रोका गया और लौटा दिया गया। वापसी में गढ़चिंचली के अत्यंत दुर्गम इलाके से वह गुजर रहे थे। वहां गलतफहमी में इन पर हमला हुआ और भीड़ ने हत्या कर दी। यदि उस रात दादरा-नगर हवेली के बॉर्डर पर उन्हें रोक लिया गया होता और सुबह महाराष्ट्र पुलिस को सौंपा होता तो यह घटना नहीं घटती। ठाकरे ने बताया कि जिस गांव में घटना घटी, वहां कुछ दिनों से रात के वक्त चोरों के घूमने की अफवाह फैली हुई थी। अब तक 5 प्रमुख हमलावरों सहित 101 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है और भी गिरफ्तारियां हो रही हैं। 250 से ऊपर फरार हैं। थाने के असिस्टेंट इंस्पेक्टर आनंद राव काले और सब-इंस्पेक्टर सुधीर कटारे को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस की भूमिका की भी जांच हो रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि लॉकडाउन के बीच तीनों साधु यात्रा कैसे कर रहे थे?

No comments:

Post a Comment