Tuesday, 7 April 2020

एक डॉक्टर का प्रधानमंत्री को खुला पत्र

रविवार 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर पूरे देश ने कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सबसे आगे खड़े डॉक्टरों, नर्सों व तमाम स्वास्थ्य कर्मियों के लिए तालियां और थालियां बजाकर उनका धन्यवाद किया। पर हमारे डॉक्टर किन कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं उसका इस पत्र से पता चलता है कि जो एक डॉक्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस खुले पत्र में लिखाöराष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक अस्पताल के पीडिऐट्रिक आईसीयू में काम करने वाला डॉक्टर होने के नाते मैं आपका ध्यान जमीनी हालात की ओर दिलाना चाहता हूं। एन-95 मास्क तो भूल जाइए, हमारे पास सामान्य मास्क तक पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। हमें अपने गाउन 2-3 दिन तक दोबारा इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं। जो बिना गाउन के काम करने के बराबर है। सभी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की सप्लाई बहुत कम है। दिल्ली में नॉर्थ एमसीडी के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक हिन्दू राव अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टॉफ ने सामूहिक इस्तीफा देने की पेशकश की है। डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ इस बात से नाराज है कि कोरोना वायरस का संक्रमण दिल्ली में बढ़ने के बाद भी न तो उन्हें पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट्स उपलब्ध कराए गए हैं, न ही सेनेटाइजर अस्पताल में उपलब्ध है। यहां तक कि मास्क भी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ अपने पैसों से खरीद कर पहन रहे हैं। हालांकि सीएमओ ने डॉक्टरों और नर्सों के इस्तीफा की पेशकश ठुकरा दी है। दिल्ली के कई डॉक्टर मरीजों को देखते-देखते उनका इलाज करते हुए खुद वायरस के शिकार हो चुके हैं। अगर देश की राजधानी के बीचोंबीच यह स्थिति हमारे अस्पतालों की है, हमारे डॉक्टरों की है तो हम देश के दूसरे हिस्सों के लिए क्या उम्मीद कर सकते हैं। डॉक्टर ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में आगे लिखा हैöबात यह है कि आप इस महामारी से निपटने में हेल्थ सिस्टम की मदद करना चाहते हैं तो बालकनी से खड़े होकर ताली बजाने की जगह आपको डॉक्टरों को जरूरी उपकरण उपलब्ध कराने चाहिए। मुझे 99 प्रतिशत भरोसा है कि यह खुला पत्र आप तक नहीं पहुंचेगा, लेकिन फिर भी इस उम्मीद में यह खत लिख रहा हूं कि दूसरे डॉक्टर और आम नागरिक खड़े होकर ताली बजाने की जगह एक प्रभावी समाधान के लिए एकजुट होंगे। अगर आप स्वास्थ्य कर्मियों को वो चीजें नहीं दे सकते तो उन्हें अपनी और देश की सुरक्षा के लिए जो चाहिए तो वह तालियां बजाकर उनका मजाक न उड़ाएं। प्रधानमंत्री को यह खुला पत्र दिल्ली के लेडी हार्डिंग अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर देबाब्राता मोहपात्रा ने अपने फेसबुक के जरिये लिखा है। डब्ल्यूएमओ गाइड लाइंस के मुताबिक पीपीई यानि पर्सनल प्रोटोक्टिव इक्विपमेंट में गबल्स, मेडिकल मास्क, गाउन और एन-95, रेस्पिरेटर्स शामिल होते हैं। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में काम करने वाली राशि सिंह का वीडियो भी सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने शेयर किया है। वो शिकायत करती सुनी गई कि नर्सों को बेसिक जरूरी चीजें नहीं मिल रही हैं। उनके पास एन-95 मास्क नहीं हैं। एक प्लेन मास्क और ग्लबस से ही मरीजों को देखा जा रहा है। उनका आरोप है कि पूरे उत्तर प्रदेश में यही हाल है और इस बारे में बोलने से रोका जा रहा है।

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