Sunday 12 April 2020

हर किसी के लिए संजीवनी नहीं क्लोरोक्विन

कोरोना काल में मलेरिया की जिस दवा हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन को संजीवनी बूटी माना जाता रहा है और पूरे विश्व में उसको लेकर रुचि बनी हुई है, उसका उपयोग दरअसल बहुत सावधानी से किए जाने की जरूरत है। वैज्ञानिक इस दवा को आम जनता के लिए खुले इस्तेमाल करने की छूट देने को लेकर सशंक्ति हैं। इसीलिए पिछले कुछ दिनों से तेजी से बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या के बावजूद यह दवा केवल मरीजों के इलाज में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों को ही दी जा रही है। दूसरों के लिए वर्जित है क्योंकि स्वास्थ्य की जांच लगातार हो रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के डॉक्टर रमन गंगा खेड़कर के अनुसार इस दवा के कुछ साइड-इफैक्ट भी हैं। यदि कोई व्यक्ति पहले से किसी दूसरी बीमारी से ग्रसित है, तो यह खतरनाक भी साबित हो सकती है। इसी तरह इसकी अधिक मात्रा भी सेहत को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है। इसीलिए इस दवा की खुली बिक्री प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर कोरोना वायरस के खिलाफ हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन के प्रभावी होने का अध्ययन कर रहा है और नतीजे सही आने पर आम जनता को भी इस्तेमाल की अनुमति दे दी जाएगी। नाक-कान व गले के विशेषज्ञ डॉ. बीनू खन्ना कहते हैं कि आज तक कोई वायरस दुनिया से पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, रोग प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव के लिहाज से हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन अच्छी दवा है। उन्होंने कहा कि इन दिनों गले की खराश की सामान्य शिकायत पर भी व्यक्ति कोविड-19 की शंका करने लगता है। वह सात हफ्ते तक उक्त दवा को लेने पर जोर देते हैं। वहीं हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपम कुलश्रेष्ठ कहते हैं कि यह दवा जोड़ों के दर्द की मूल दवा न होकर सहायक दवा रही है और ऐसा भी नहीं है कि इसमें भी सभी रोगियों को इसका फायदा हुआ हो। उन्होंने कहा कि मलेरिया की ही यह प्रचलित दवा है। वह भी कहते हैं कि हफ्ते में एक बार सुबह-शाम 400 मिलीग्राम दवा की खुराक उपयुक्त है। डॉ. कुलश्रेष्ठ ने कहा कि दवा 3-4 हफ्ते ली जा सकती है लेकिन दिल के रोगियों को इस दवा के सेवन करने से बचना चाहिए। वह कहते हैं कि उम्रदराज व्यक्तियों में इस दवा का इस्तेमाल बेहद सावधानी के साथ करने की जरूरत है। वह कहते हैं कि शायद बीसीजी टीके का भी असर है कि भारतीयों में यह वायरस अब तक वैसा असर नहीं डाल सका है, जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था। सामान्य वर्ग के साथ-साथ डॉक्टरों को भी जागरूक करने वाले डॉ. केके अग्रवाल कहते हैं कि लंबे समय तक ज्यादा दवा लेना नुकसानदेह हो सकता है लेकिन डॉक्टर की सलाह से उचित मात्रा में इसके सेवन में कोई हर्ज नहीं है। वह तो यह भी मशविरा देते हैं कि हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन संयुक्त रूप से देने से ज्यादा फायदा हो सकता है। निष्कर्ष यही निकलता है कि सेल्फ मैडिकेशन करने से बेहतर होगा। डॉक्टर की सलाह पर ही इसका इस्तेमाल करें।

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