Saturday, 21 November 2020
16 से 18 हजार फुट एलएसी पर तैनात हमारे जवान
देश में सर्द मौसम शुरू हो चुका है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में पहाड़ बर्फ से ढंक गए हैं। जून में गलवान घाटी में चीन से संघर्ष के बाद भारत ने इस सर्द मौसम में भी सैनिकों को 16 हजार से 18 हजार फुट ऊंचे एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के अग्रिम मोर्चों पर तैनात कर रखा है। असामान्य मौसम में जवान अपनी जिम्मेदारी बाखूबी निभा पाएं और फिट रहें, इसके लिए देशभर के कमांड हॉस्पिटल से चुने गए सुपर स्पैशलिस्ट, श्रेष्ठ सर्जन और पैरामैडिक भी तैनात किए गए हैं। आर्मी के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक डॉक्टरों को फॉरवर्ड सर्जिकल सेंटर में तैनात किया गया है। हर छह से आठ सप्ताह में नया स्टाफ तैनात किया जाता है। दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्य क्षेत्र सियाचिन से लौटे एक डॉक्टर ने बताया कि अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिक डिब्बाबंद भोजन की वजह से पेट दर्द की समस्या से भी जूझते हैं। सैनिक रक्तचाप में उतार-चढ़ाव, मस्तिष्क आघात, दिल का दौरा, अंग अंधता जैसी गंभीर बीमारियों से भी जूझते हैं। इसलिए सैनिकों को योगासन, सांस लेने के व्यायाम करने के लिए कहा जाता है। उच्च क्षेत्रों में किसी भी सैनिक को अधिकतम 120 दिन के लिए ही तैनात किया जाता है। उच्च रणक्षेत्र में ड्यूटी पर लौटे एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि जब डॉक्टर बेस कैंप पहुंचते हैं तो उन्हें नौ हजार फुट की ऊंचाई के हिसाब से एक हफ्ते का अनुकूल प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि उनका शरीर कम तापमान से सामंजस्य बैठा सके। तैनाती 13 हजार फुट पर हो तो प्रशिक्षण चार दिन और 18 हजार फुट की ऊंचाई पर हो तो आठ दिन बढ़ा दिया जाता है। इस दौरान डॉक्टरों को हल्का व्यायाम, योगासन कराया जाता है। कोई फिजिकल एक्टिविटी नहीं कराई जाती है। प्रोटीनयुक्त बटर अधिक मात्रा में खिलाया जाता है, ताकि स्किन पर ड्राइनेस न रहे और उनका खून गाढ़ा न हो। हमारे सैनिक, डॉक्टर कितनी कठिन परिस्थितियों में देश की रक्षा कर रहे हैं ताकि हम रात को चैन से सो सकें। जय हिन्द। हम इन्हें सलाम करते हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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