Friday, 6 November 2020

केन्द्र कृषि बिलों के जरिए किसानों की मौत का सामान लाई है

केन्द्राrय कृषि कानूनों को दरकिनार करने के लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने सोमवार को विधानसभा में तीन संशोधन विधेयक पारित किए। अब ये राज्यपाल कलराज मिश्र के पास मंजूरी के लिए भेजे जाएंगे। इससे पहले पंजाब सरकार ने केन्द्राrय कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पारित किए। संशोधन विधेयकों पर करीब छह घंटे बहस हुई जिसमें सत्तापक्ष की तरफ से चार वरिष्ठ मंत्रियों ने सरकार का पक्षा रखा। राजस्थान के केन्द्राrय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने सदन में कृषि उपज, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा कर पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (विशेष) उपबंध और राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 सदन के पटल पर रखा। इस विधेयकों का उद्देश्य केन्द्र द्वारा हाल ही में पारित कृषि संबंधी तीन कानूनों का राज्य के किसानों पर प्रभाव निष्प्रभावी करना है। सरकार ने कहा है कि वह राज्य के कृषिकों, कृषि श्रमिकों तथा कृषि और उसके संबंधित क्रियाकलापों में लगे हुए अन्य सशक्त व्यक्तियों के भी हितों और आजीविका की सुरक्षा और संरक्षण के लिए राजस्थान कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम 1961 के विनियामक ढांचे के माध्यम से राजस्थान राज्य के कृषिकों के fिहतों की रक्षा के लिए यह विधेयक लाई है। इस विधेयक में कृषिकों के उत्पीड़न के खिलाफ दंड का प्रावधान है। इसमें लिखा गया है कि यदि कोई व्यापारी कृषकों का उत्पीड़न करता है तो उसे तीन साल से सात साल की कैद या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है और यह जुर्माना पांच लाख रुपए से कम नहीं होगा। संसद में पारित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण अधिनियम 2020 का हवाला देते हुए विधेयक में कहा है कि क्योंकि इस केन्द्राrय अधिनियम का प्रत्यक्ष परिणाम न्यूनतम समर्थन मूल्य तंत्र को निष्प्रभावी करना होगा और इससे कृषि तथा संबंधित समुदायों के हितों की रक्षा में बाधाएं आएंगी। इससे कृषक को विभिन्न तरह के शोषण से बचाने का कोई उपाय नहीं किया गया है। मंत्री ने एक अन्य विधेयक में भी कृषिकों के उत्पीड़न की स्थिति में संबंध व्यक्ति या कंपनी का कारपोरेट घरानों की तीन से सात साल की कैद या कम से कम पांच लाख रुपए के जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा। राजस्थान सरकार के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा केन्द्र कृषि बिलों के जरिए किसानों की मौत का सामान लेकर आई है। वह किसानों को दूसरों के दरवाजे पर बांधना चाहती है। राज्य सरकारों ने किसानों को खुद के उत्पादन दूसरी जगह बेचने पर कब रोक लगाई? केंद्र शांता कुमार की रिपोर्ट लागू करना चाहती है और जिसमें एमएसपी खत्म करने की बात है। केन्द्र ने एमएसपी पर जिक्र नहीं किया है। केन्द्र का रिलायंस सहित कुछ पूंजीपतियों की कृषि में एंट्री कराने का उद्देश्य है। मंडियों के सामने कारपोरेट के लोग दुकान लगाकर बैठेंगे तो मंडियों में क्या हाल होगा? कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि चुनावों में किसानों की आय दोगुनी करने की बात करने वाले प्रधानमंत्री कारपोरेट व्यापारियों के हितों के लिए काम कर रहे हैं।

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