Tuesday, 3 November 2020

भाजपा को सता रही असम-बंगाल की चिंता

पूरे देश की नजरें इस समय बिहार विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं। कोरोना महामारी के बीच हो रहे इस पहले विधानसभा चुनाव के फैसले तो 10 नवम्बर को आएंगे पर एक नतीजा जो अब तक सामने आ चुका है वह है कि महामारी के बावजूद चुनाव में जनता और राजनीतिक पार्टियों की हिस्सेदारी में कोई कमतर नहीं आती है। शुरुआत में एकतरफा माना जा रहा यह चुनाव पहला वोट पड़ने से पहले ही एक दिलचस्प मुकाबला बन चुका है। वैसे तो चार-पांच मोर्चे मैदान में हैं, पर असल टक्कर नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए और राजद के नेतृत्व में महागठबंधन के बीच है। बिहार विधानसभा परिणाम सिर्फ बिहार के लिए महत्वपूर्ण नहीं बल्कि इनसे देश के कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है। दोनों ही प्रमुख गठबंधन किसी भी कीमत पर एक-दूसरे को शिकस्त देना चाहते हैं। क्योंकि हार-जीत बिहार के साथ कई दूसरे प्रदेशों के चुनाव का भी रुख तय करेगी। पश्चिम बंगाल, केरल, असम और तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे पश्चिम बंगाल और असम चुनाव का रुख तय करेंगे। यही वजह है कि भाजपा जहां जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नजर राजद-कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन पर है। वहीं असम में कांग्रेस-भाजपा में मुकाबला है। पिछले लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद भाजपा सिर्फ हरियाणा में किसी तरह जोड़तोड़ के सहारे सत्ता में पहुंचने में सफल रही है। दिल्ली चुनाव में करारी हार का पार्टी को सामना करना पड़ा। ऐसे में भाजपा बिहार में अपनी सत्ता गंवाती है तो बंगाल में ममता को अपनी सरकार बचाए रखने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। भाजपा जीतती है तो बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की चुनौती बढ़ जाएगी। पश्चिम बंगाल में हिन्दीभाषियों की तादाद करीब 13 प्रतिशत है। इनमें उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की संख्या लगभग आठ प्रतिशत है। यह मतदाता क्षेत्रीय दलों के बजाय राष्ट्रीय पार्टियों को वोट करते हैं। जब तक बंगाल में कांग्रेस मजबूत थी हिन्दीभाषी कांग्रेस के साथ थे। कांग्रेस के कमजोर होने और भाजपा की पकड़ मजबूत करने से यह वोट उसके साथ जुड़ गया है। यही वजह है कि ममता हिन्दीभाषी खासकर बिहारी मतदाताओं में सेंध लगाने की कोशिश कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने पार्टी में हिन्दी सेल के साथ छठ पूजा का आयोजन शामिल किया है। ऐसे में खुद तृणमूल कांग्रेस को उम्मीद है कि वह हिन्दीभाषी मतदाताओं में सेंध लगाने में सफल रहेगी। पर बिहार में भाजपा की जीत उसकी मुश्किल बढ़ा सकती है। बिहार चुनाव परिणाम का असर असम विधानसभा चुनाव पर भी होगा। चुनाव में जदयू-भाजपा गठबंधन जीतता है तो पार्टी को असम चुनाव में बढ़त मिल जाएगी। वहीं कांग्रेस-राजद गठबंधन जीतता है तो कांग्रेस के लिए भाजपा सरकार को घेरना आसान होगा। क्योंकि बिहार की तरह असम में भी कांग्रेस लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। कुल मिलाकर बिहार चुनाव परिणाम दूरगामी असर छोड़ सकते हैं।

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