Sunday, 22 November 2020

चीन की धमकी, आंखें निकाल दी जाएंगी

चीन के हांगकांग में नए नियम के खिलाफ इस महीने लोकतंत्र समर्थक 15 सांसदों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्टेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा ने चीन पर आरोप लगाया है कि वो हांगकांग में अपने आलोचकों को खामोश कराने, उनकी आवाज दबाने के लिए दमन का रास्ता अपना रहा है। इनका आरोप है कि चीन ने हांगकांग में चुने गए सांसदों को अयोग्य ठहराने के लिए नए नियम बनाए हैं। पश्चिमी देशों के इन आरोपों के बाद बौखलाए चीन ने इस पर तीखी प्रक्रिया दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इन देशों को चीन के मामलों में दखल न देने की चेतावनी देते हुए कहाöवे सावधान रहें वरना उनकी आंखें निकाल ली जाएंगी। फर्क नहीं पड़ता कि पांच हों या दस हों। प्रवक्ता झालो लिजिआन ने कहाöचीनी लोग न परेशानी खड़ी करते हैं और न किसी से डरते हैं। पिछले हफ्ते चीन ने एक प्रस्ताव पास किया जिसके तहत हांगकांग की सरकार उन नेताओं को बर्खास्त कर सकती है जो उनके अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। हांगकांग में एक कानून के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन के बाद हांगकांग ने चार लोकतंत्र समर्थकों (सांसदों) को बर्खास्त कर दिया। इसके जवाब में हांगकांग के सभी लोकतंत्र समर्थक सांसदों ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। 1997 के बाद जब से ब्रिटेन ने हांगकांग को चीन को सौंपा है, तब से यह पहली बार है कि संसद में कोई विरोधी स्वर नहीं बचा है। इन चारों सांसदों को बर्खास्त करने की कार्रवाई को हांगकांग की आजादी को सीमित करने के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि चीन इस आरोप को खारिज करता है। इन पांच देशों के विदेश मंत्रियों ने अपील की है कि वो इन सांसदों को वापस बहाल करे। उनका कहना है कि यह कदम हांगकांग की स्वायत्तता और आजादी की रक्षा करने की चीन की कानूनी प्रतिबद्धता का उल्लंघन है। उन्होंने चीन पर आरोप लगाया कि वो हांगकांग के लोगों को अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार का हनन कर रहे हैं। इन पांच देशों के समूह को फाइव आइज भी कहा जाता है कि आपस में खुफिया जानकारी साझा करते हैं। इसका गठन शीतयुद्ध के वक्त किया गया था और शुरू में इसकी मंशा सोवियत संघ और उसके सहयोगियों पर नजर रखने की थी। इससे पहले हांगकांग में चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दूसरे देशों को चीन को डराने या दबाव बनाने की कोशिशें नाकाम ही होंगी। हांगकांग ने एक देश-दो सिस्टम के सिद्धांत के अंतर्गत चीन के साथ आने का फैसला किया था। इस सिद्धांत के तहत 2047 तक हांगकांग को वो सब अधिकार और स्वतंत्रता होगी जो फिलहाल चीन में नहीं है। एक विशेष प्रशासित क्षेत्र के तौर पर हांगकांग के पास अपनी कानून प्रणाली होगी, विभिन्न राजनीतिक पार्टियां होंगी, अभिव्यक्ति और एक जगह जमा होने की आजादी होगी। चीन का कहना है कि इस कानून से स्थिरता आएगी लेकिन पश्चिमी देशों की सरकारें और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह कानून अभिव्यक्ति की आजादी छीनने और विरोध को रोकने के लिए बनाया गया है। इस सुरक्षा कानून के जवाब में ब्रिटेन ने हांगकांग के उन लोगों को नागरिकता देने का प्रस्ताव दिया है जिनके पास ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज (बीएनओ) पासपोर्ट है। यानि जो लोग 1997 से पहले पैदा हुए हैं, सिर्फ उन्हीं को यह पासपोर्ट रखने का अधिकार है। करीब तीन लाख लोगों के पास बीएनओ पासपोर्ट है और 1997 से पहले पैदा हुए 29 लाख इसके योग्य हैं।

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