Saturday 21 November 2020

कोमा की स्थिति में कांग्रेस पार्टी

बिहार चुनाव व देश के 11 राज्यों में हुए उपचुनाव में कांग्रेस की दुर्गति के बाद पार्टी में घमासान मचा हुआ है और यह तो होना भी था। एक बार फिर पार्टी बगावत की राह पर है, जिस तरह पार्टी के अंदर राहुल गांधी की कार्यशैली को लेकर सवाल उठ रहे हैं उससे आने वाले दिनों में कांग्रेस में संकट काफी गहरा सकता है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों लेटर बम फोड़ने वाले नेताओं में से कुछ नेता इस बार भी हमलावर हैं और इस बार निर्णायक लड़ाई के मूड में हैं। सूत्रों के अनुसार कपिल सिब्बल ने जो आवाज उठाई है अंदरखाते कई और वरिष्ठ नेता उसका न केवल समर्थन कर रहे हैं बल्कि इस बार पार्टी आलाकमान से स्पष्ट निर्णय की उपेक्षा रख रहे हैं। कांग्रेस नेता मानते हैं कि पार्टी में असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी अभी भी बरकरार है। ऐसे में इसका सीधा असर पार्टी अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव पर पड़ेगा। अध्यक्ष पद के लिए दिसम्बर के आखिर में चुनाव होने की संभावना है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि अगर राहुल गांधी वापसी की तैयारी कर रहे हैं तो असंतुष्ट नेताओं के स्वर कुछ धीमे जरूर हो सकते हैं, पर आवाज उठती रहेगी। पार्टी के अंदर कई नेताओं का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष को 23 असंतुष्ट नेताओं ने पत्र लिखा था। इनमें सिर्फ कपिल सिब्बल बने रहे हैं। सिब्बल सीधे तौर पर संगठन से जुड़े नहीं रहे हैं। ऐसे में उनकी बात की बहुत गंभीरता नहीं है, पर वह मानते हैं कि इस तरह के स्वर न उठें तो बेहतर है। क्योंकि पार्टी मुश्किल दौर से गुजर रही है। पार्टी को एकजुट रहना चाहिए। कांग्रेस के नए अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। कांग्रेस कार्यसमिति जल्द चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर सकती है। पार्टी के अंदर सीडब्ल्यूसी के लिए चुनाव कराने की मांग जोर पकड़ सकती है। सिब्बल और दूसरे असंतुष्ट नेता कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में इस मांग को दोहरा चुके हैं। पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल के पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने के बाद पार्टी का एक बड़ा तबका हमलावर है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तारिक अनवर की नसीहत के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने बहादुर शाह जफर के एक शेर के जरिये सिब्बल पर पलटवार किया है। सलमान खुर्शीद ने फेसबुक पोस्ट के जरिये कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करने वाले नेताओं को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दी है। इसके लिए उन्होंने आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर के इस शेर का हवाला दियाöखुर्शीद ने लिखा न थी हाल की जब हमें खबर, रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर तो निगाह में कोई बुरा न रहा। उन्होंने कहा कि बहादुर शाह के शब्द हमारी पार्टी के कई सहयोगियों के लिए एक उपयोगी साथी हो सकते हैं, जो समय-समय पर चिन्ता का दर्द झेलते हैं। कार्ति चिदम्बरम ने कांग्रेस आलाकमान पर सवाल दागने के अंदाज में कहा कि कांग्रेsस ने हार को ही नियति मान लिया है। पार्टी चिन्तन करने से बचती है। अगर इन सबके बयान को देखें तो एक बात तो साफ है कि पार्टी थकी-सी प्रतीत होती है, जो जिन्दा तो है पर उसकी कोमा की स्थिति है। कोमा में एक प्रकार से मनुष्य के वर्षों तक कभी-कभी अंगुली हिलने से जीवित होने का प्रमाण तो मिलते हैं, लेकिन मस्तिष्क की जड़ता से जीवन क्रियात्मक नहीं होता। देखना यह होगा कि कांग्रेस पार्टी इस कोमा की स्थिति से कब उभरती है, अगर उभरती है तो?

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