Thursday, 19 November 2020

आसियान देशों ने किया दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार करार

आठ साल की लंबी बातचीत और विचार-विमर्श के बाद चीन समेत आसियान के सदस्य देशों ने रविवार को दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। एशिया के कई देशों को उम्मीद है कि इस समझौते से कोरोना महामारी की मार से तेजी से उबरने में मदद मिलेगी। क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के इतर वर्चुअल तरीके से हस्ताक्षर किए गए। आसियान के 10 देशों के अलावा चीन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान व दक्षिण कोfिरया शामिल हैं। समझौते में शामिल देशों की कुल आबादी 2.1 अरब है। दुनिया की कुल जीडीपी का आरसीईपी की हिस्सेदारी 30 फीसदी है जो विश्व का सबसे बड़ा व्यापार समझौता है। हालांकि इसमें चीनी का आधिपत्य है। आसियान में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया शामिल हैं। भारत इस समझौते में शामिल नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि भारत के फिर से शामिल होने की संभावनाएं खुली हैं। भारत ऑब्जर्वर सदस्य के तौर पर इसमें भाग ले सकता है। भारत आईसीईपी की नींव डालने वाले 16 देशों में शामिल था, लेकिन पिछले साल भारत ने इससे खुद को अलग कर लिया। इसकी वजह भारत के बढ़ते व्यापार घाटे को बताया था और कहा था कि आरसीईपी में शामिल होने का मतलब है भारत के बाजारों में चीनी सामानों की भरमार। इससे भारत की आतंरिक अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता। मेजबान देश वियतनाम के प्रधानमंत्री ने कहा, यह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है। इससे क्षेत्र में एक नया व्यापार ढांचा बनेगा, व्यापार सुगम हो सकेगा और कोविड-19 से प्रभावित आपूर्ति श्रृंखला को फिर से खड़ा किया जा सकेगा। इस व्यापारिक संघर्ष में अमेरिका शामिल नहीं है और चीन इसका नेतृत्व कर रहा है। इस लिहाज से अधिकांश आर्थिक विश्लेषक इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के तौर पर देख रहे हैं, यदि संधि यूरोपीय संघ और अमेरिका-मैक्सिको-कनाडा व्यापार समझौते से बड़ी बताई जा रही है।

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