Wednesday 11 November 2020

कितना कारगर रहेगा पटाखों पर बैन?

पटाखों पर दिल्ली में प्रतिबंध लग गया है, लेकिन लोगों को रोक पाना मुश्किल हो रहा है। एनसीआर के कई शहरों में पटाखों की बिक्री अब भी जारी है। अभी भी कई जगहों पर पटाखे बिकते दिखाई दिए। अनार, फुलझड़ी, पेंसिल, चकरी जैसे पटाखे तो अब परचून की दुकान पर भी आसानी से मिल रहे हैं। पश्चिमी दिल्ली में कुछ जगहों पर दुकानों के बाहर सजावटी और अन्य जरूरी सामान बिक रहे हैं। वहां कई दुकानदार अपने नियमित ग्राहकों से खुद ही पटाखों के लिए पूछ रहे हैं। ग्राहक के हां बोलने के बाद घर के अंदर से जाकर पटाखों की बिक्री हो रही है। प्रतिबंध के बाद अब पटाखों के रेट भी 30 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। कई पटाखे शौकीन एनसीआर से पटाखे लेकर आ रहे हैं। हालांकि इस बार ज्यादातर ग्रीन क्रैकर्स ही बिक रहे हैं। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में सामान्य पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। लोगों को सिर्फ ग्रीन पटाखों का विकल्प दिया गया था, लेकिन उस साल बाजार में ग्रीन पटाखे नहीं थे। 2019 में अनार, फुलझड़ी समेत कुछ ग्रीन पटाखे आए। इस बार ग्रीन पटाखों की 25 से 30 वैरायटी हैं। इसके बावजूद कोरोना संक्रमण को देखते हुए पटाखों पर राजधानी में 30 नवम्बर तक रोक लगा दी गई है। मंगलापुरी के एक पटाखे बिक्रेता ने बताया कि वह करीब 20 दिन पहले पटाखे ला चुके थे। ग्रीन क्रैकर्स ही लाए हैं। अब अचानक प्रतिबंध लगने की वजह से उनका माल फंस गया है। इसे बेचना उनकी मजबूरी है। पटाखे खरीदने आए विक्रांत दूबे ने कहा कि हर साल सिर्फ दीपावली को ही टारगेट किया जाता है। साल में एक दिन पटाखे चलते हैं, जबकि प्रदूषण 365 दिन रहता है। ग्रीन पटाखे जो सरकार ने बनवाए थे, दो साल में ही इस पर भी रोक लगाने की नौबत क्यों आ गई? लोगों और बच्चों को कुछ ऑप्शन तो मिलना ही चाहिए। बता दें कि एक अनार (मीडियम साइज) 30 सिगरेट के बराबर धुआं छोड़ता है। एक फुलझड़ी या पेंसिल (कलरफुल) 50 सिगरेट के बराबर धुआं देती है। 300 पटाखों की लड़ीö70 सिगरेट के बराबर धुआं। एक चकरीö30 सिगरेट के बराबर धुआं देती है। पटाखों में धुएं में सामान्य धुएं के अलावा कई खतरनाक केमिकल भी होते हैं। ग्रीन पटाखों में बेरियम और राख का इस्तेमाल नहीं होता। हरे रंग के लिए पटाखों में बेरियम और नाइट्रेट लाल और पीले रंग के लिए सोडियम नाइट्रेट, सफेद रंग के लिए मैग्नीशियम का इस्तेमाल होता है। गन पाउडर का इस्तेमाल भी किया जाता है।

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