Tuesday, 3 November 2020

पाक ने कबूला, पुलवामा हमला हमारी करतूत है

पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है अगर किसी को भी इस पर संदेह था तो पाकिस्तान का नापाक चेहरा उसी के नेता ने उजागर कर पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया है। प्रधानमंत्री इमरान खान के मंत्रिमंडल में विज्ञान व तकनीकी मंत्री फवाद चौधरी ने पाक संसद में चर्चा के दौरान पुलवामा में आत्मघाती हमले में अपनी सरकार की बड़ी कामयाबी बताया है। भारत शुरू से ही यह आरोप लगाता रहा है कि पुलवामा हमला पूरी तरह से पाकिस्तान प्रायोजित था। याद रहे कि इस हमले के जवाब में भारत ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी। महत्वपूर्ण तो यह है कि चौधरी ने यह बात कहीं चलते-फिरते किसी हल्के-फुल्के अंदाज में नहीं कही, बल्कि पाक संसद में चर्चा के दौरान विपक्ष को बताया कि पुलवामा में आत्मघाती हमला इमरान सरकार की सबसे बड़ी कामयाबी रही। उन्होंने कहाöहमने हिन्दुस्तान को घुसकर मारा। पुलवामा में हमारी जो कामयाबी है, वह इमरान खान के नेतृत्व में पूरी कौम की कामयाबी है। पाकिस्तान सरकार के मंत्री के इस सच्चाई को स्वीकार करने के बाद भारत को अब इस बात का किसी को सुबूत देने की कोई जरूरत नहीं रह जाती कि पुलवामा हमला किसने करवाया। पाकिस्तान में विपक्षी सरकार के खिलाफ आंदोलनरत हैं। उसी के तहत पीएमएल(एन) सांसद सरदार अयाज सादिक ने संसद में कहा था कि विंग कमांडर अभिनंदन वर्द्धमान को कैद करने के बाद विदेश मंत्री और पाक सेना प्रमुख भारत द्वारा हमला बोलने की आशंका से कांप रहे थे। इस पर इमरान के नजदीकी माने जाने वाले मंत्री ने जवाब दिया कि हमने हिन्दुस्तान को अंदर मारा और पुलवामा की सफलता इमरान खान सरकार की सफलता है। पाकिस्तान मंत्री के बयान ही इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं कि भारत में शांति और अस्थिरता फैलाने के पीछे पाकिस्तान का हमेशा से हाथ रहा है। हालांकि अब पाकिस्तान बुरी तरह से बेनकाब हो चुका है। चाहे संसद पर हमले की घटना हो या मुंबई का आतंकी हमला या फिर पठानकोट और उरी में वायुसेना के ठिकानों पर आतंकी हमले, यह सारे हमले पाकिस्तान ने ही करवाए हैं। भारत ने हर हमले के विस्तृत सुबूत पाकिस्तान को दिए हैं और गुनहगारों को भारत को सौंपने की मांग की है। लेकिन पाकिस्तान हमेशा भारत के आरोपों और सुबूतों को नकारता रहा है। लेकिन अब तो इमरान खान के मंत्री खुद ही बता रहे हैं कि उनकी सरकार की उपलब्धियां क्या हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की सरकार और राजनीतिक दलों के भीतर से ही ऐसी और आवाजें सुनने को मिलें और सरकार के नुमाइंदे ही अपनी सेना, खुफिया एजेंसी आईएसआई और सरकार को बेनकाब करते रहें। इस कबूलनामे को पुलवामा का सच मानकर बैठ जाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि हमारी सरकार को चाहिए कि इमरान सरकार के मंत्री के इस कबूलनामे का इस्तेमाल कर दुनिया को बताएं ताकि पाकिस्तान को एफएटीएफ की काली सूची में डाला जा सके। यही नहीं, यह संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का भी पर्याप्त आधार हो सकता है।

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