Sunday, 8 November 2020
बंगाल की खाड़ी में उतरे चार यार
चीन ने अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं का प्रदर्शन कर क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) को 13 साल बाद एकजुट कर दिया। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया बंगाल की खाड़ी में मालाबार युद्धाभ्यास कर रहे हैं। यह युद्धाभ्यास हर साल होने वाला अभ्यास-भर नहीं है, बल्कि इसके दो चरणों में होने तथा 13 साल बाद ऑस्ट्रेलिया के इसमें शामिल होने के कारण यह खास अवसर बन गया है। समान सोच के एक और देश जर्मनी ने भी हिन्द प्रशांत क्षेत्र में पेट्रोलिंग के लिए अगले साल से एक युद्धपोत तैनात करने का ऐलान कर दिया ताकि अंतर्राष्ट्रीय नियमों पर आधारित समुद्री व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। क्वाड देश, चीन के प्रति अपने इरादे का स्पष्ट रणनीतिक इजहार कर रहे हैं। क्वाड के इस उच्चस्तरीय युद्धाभ्यास का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिक पिछले सात महीनों में आमने-सामने खड़े हैं। चीन से तनातनी के बीच मंगलवार को मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत हुई। विध्वंसक मिसाइलों से लैस क्वाड देशों ने महासागर में अपनी ताकत और युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते नजर आए। यह बहुपक्षीय नौसैनिक युद्धाभ्यास है। इसमें नौसेनाएं युद्ध जैसे हालात पैदा करती हैं और आपस में संघर्ष करती नजर आती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक पहली बार इतने बड़े युद्धक की नौसेनाएं एक साथ, एक महासागर में एक खास उद्देश्य के साथ उतरी हैं। हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती नापाक हरकतों पर लगाम लगाना उनका मकसद है और यही चीन की बेचैनी बढ़ने की वजह है। इस साल यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया है। क्वाड देश अंतर्राष्ट्रीय समुद्र में सबके लिए आवाजाही बनाए रखना चाहते हैं लेकिन चीन इसमें अड़ंगे डाल रहा है। दक्षिण चीन सागर में जो भी चल रहा है, वह कहीं न कहीं अंतर्राष्ट्रीय समुद्र पर कब्जा करना और उसके जरिये अन्य देशों के मुक्त आवागमन को रोकना है। इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है। चीन हर साल मालाबार युद्धाभ्यास के उद्देश्यों को लेकर संशकित रहा है। मालाबार युद्धाभ्यास के बारे में पूछे सवाल पर चीन के विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन उम्मीद करता है कि युद्धाभ्यास में शामिल देशों के अलावा क्षेत्र में भी शांति और स्थिरता के लिए अनुकूल होगा। क्वाड की ताकत और चीन की आपत्ति के बावजूद इस बार ऑस्ट्रेलिया के इसमें शामिल होने के कारण ही संशकित बीजिंग को उम्मीद जतानी पड़ रही है कि यह संयुक्त सैन्याभ्यास शांति और स्थायित्व के अनुकूल होगा।
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