Sunday, 29 November 2020
मैक्रों ने कहाöइस्लामिक नेता प्रजातंत्र मूल्यों को स्वीकारें
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देशभर के मुस्लिम नेताओं को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा है कि इस अवधि में सभी इस्लामिक नेता कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ राष्ट्रव्यापी मुहिम का हिस्सा बन जाएं। इस रूप में प्रजातांत्रिक मूल्यों के चार्टर को स्वीकार कर लें। मैक्रों ने फ्रेंच काउंसिल ऑफ द मुस्लिम फेथ (सीएफसीए) नामक संगठन से कहा है कि प्रजातांत्रिक मूल्यों के चार्टर को स्वीकार करते हुए लिखें कि इस्लाम धर्म है। यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है। इसका मकसद मुस्लिम समूहों में विदेशी हस्तक्षेप को रोकना भी है। यह कदम देशभर में एक महीने से भी कम समय में तीन इस्लामिक आतंकवादी हमलों के बाद उठाया गया है। राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्लाम को बतौर धर्म संकट में बताया था। उन्होंने इस्लामिक अलगाववाद से निपटने का संकल्प भी लिया था। इस पर तुर्की सहित कई मुस्लिम बहुसंख्यक देशों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। पाकिस्तान सरकार की कैबिनेट मंत्री शिरीन मजारी ने मैक्रों के खिलाफ कड़ी टिप्पणी कर दी। पाकिस्तान को एक बार फिर विश्व स्तर पर उस वक्त शर्मसार होना पड़ा जब फ्रांसीसी राष्ट्रपति पर की गई मजारी को न सिर्फ अपना विवादित ट्वीट वापस लेना पड़ा बल्कि उन्हें अपने किए पर माफी भी मांगनी पड़ी। मजारी ने कहा था कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार मुस्लिमों पर नाजी शासन में यहूदियों पर हुए जुल्म की तरह अत्याचार कर रही है। पाकिस्तानी मंत्री के इस ट्वीट पर राष्ट्रपति मैक्रों नाराज हो गए और फ्रांस ने मजारी से टिप्पणी को वापस लेने की मांग की। दो दिन पूर्व शिरीन मजारी ने एक लेख का हवाला देते हुए कुछ ट्वीट किए कि मैक्रों सरकार मुसलमानों पर नाजियों द्वारा यहूदी अत्याचारों जैसा बर्ताव कर रही है। इस पर फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने पाक सरकार से सम्पर्क कर आपत्ति जताई। फ्रांस ने कहा कि या तो मंत्री अपने दावे के पक्ष में सुबूत पेश करें अन्यथा माफी मांगें। फ्रांस के सख्त रवैये के आगे पाक की इमरान खान सरकार को झुकना पड़ा और मंत्री को माफी मांगनी पड़ी। मजारी ने लिखाöमैं अपनी गलती सुधारते हुए ट्वीट डिलीट कर रही हूं और इस गलती के लिए माफी भी मांगती हूं।
-अनिल नरेन्द्र
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