Sunday 22 November 2020

चुनाव से पहले कश्मीर में हिंसा फैलाने के खतरनाक इरादे

तमाम सख्ती, चौकसी, सघन तलाशी अभियान और नियंत्रण रेखा पर गहन गश्त के बावजूद पाकिस्तान पोषित दहशतगर्दों की घुसपैठ पर नकेल कसना हमारे सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बना हुआ है। पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू होते ही उनकी यह हरकतें और बढ़ जाती हैं। पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हथगोले फेंकने और फिर जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर हुई मुठभेड़ इसके ताजा उदाहरण हैं। ताजा घटना में जम्मू के नगरोटा में सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकियों को मार गिराया है। एनकाउंटर गुरुवार तड़के 4ः50 बजे शुरू हुआ। दो घंटे में आतंकी ढेर कर दिए गए। आतंकी चावल के बोरों से भरे ट्रक में सवार थे। सभी पाकिस्तानी थे। सुरक्षा बलों ने नगरोटा स्थित बन टोल प्लाजा पर ट्रक को रोका और आतंकियों से सरेंडर करने के लिए कहा पर उन्होंने हमला कर दिया। जवाबी कार्रवाई में सेना ने ट्रक को उड़ा दिया और आतंकी मार दिए। आतंकियों के इरादे खतरनाक थे क्योंकि उनके पास से 11 एके-47 राइफल, तीन पिस्टल, 20 ग्रेनेड, छह यूबीजीएल ग्रेनेड, मोबाइल फोन, कंपास और अन्य डिवाइस और पिट्ठू बैग मिले हैं। ट्रक ड्राइवर फरार है। हैरानी की बात यह है कि आतंकियों ने हमारे सुरक्षा प्रबंधों की धज्जियां उड़ाते हुए लगातार चौथी बार जम्मू-उधमपुर हाइवे पर कई किलोमीटर का सफर करके आसानी से हमले करने में कामयाब रहे और सुरक्षा बल या तो सिर्फ सुरक्षा के प्रति दावे करते रहे या फिर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप ही लगाते रहे। अब भी वही हुआ। बन टोल प्लाजा पर हमला करने वाले आतंकियों ने 70 किलोमीटर से ज्यादा का सफर उन मार्गों पर किया, जहां सुरक्षा नाकों की भरमार है। पहले भी तीन बार ऐसा हो चुका है जब आतंकी 80, 40 और 50 किलोमीटर का सफर आसानी से पार करते हुए हमले करने में कामयाब रहे थे। सांबा में सीमा एनएच से कहीं दो किलोमीटर तो कहीं 10 किलोमीटर दूर है। 13 सितम्बर 2018 को झज्जर कोटली में हुए हमले के लिए भी आतंकी 40 किलोमीटर का सफर तय कर वहां पहुंचे थे। 29 नवम्बर 2016 को नगरोटा में सैन्य मुख्यालय पर हमला करने वाले आतंकियों ने 50 किलोमीटर का सफर तय किया था। 31 जनवरी इसी साल बन टोल प्लाजा पर ही हमला किया था। यों तो सर्दियों के मौसम में पाकिस्तान संघर्षविराम का उल्लंघन कर आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश करता रहा है, लेकिन ऐसे समय जब जम्मू-कश्मीर में 28 नवम्बर को जिला विकास परिषद के चुनाव होने जा रहे हैं, पिछले कुछ दिनों के दौरान उसकी ओर से तेज हुई घुसपैठ की कोशिशें उसके मंसूबों को बताती हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2019 की 3168 घटनाओं की तुलना इस साल छह अक्तूबर तक पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन की 3589 घटनाएं हो चुकी हैं। भारत की सख्त चेतावनी के बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। यह संयोग मात्र नहीं है कि एक दिन पहले प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुटता पर बल दिया। चीन को भी पाकिस्तान की इन हरकतों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। भारत जब भी अपने यहां आतंकवादी घटनाओं से संबंधित दस्तावेज पाक को सौंपता है तो पाकिस्तान उसे सिरे से खारिज करने का प्रयास करता है। यहां तक कि अदालतें भी उन दस्तावेजों को कोई प्रमाण नहीं मानतीं। मुंबई हमले के साजिशकर्ता हाफिज सईद इसका उदाहरण है। दहशतगर्दों के खिलाफ पाकिस्तान दिखावे के लिए कार्रवाई करता है ताकि अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी के सामने उनकी आंख में धूल झोंक सके। पाकिस्तान की नीयत तो साफ है पर हमारे सुरक्षा बलों, गुप्तचर एजेंसियां क्या कर रही हैं?

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