Tuesday, 3 November 2020

हो रहा है गौहत्या निरोधक कानून का दुरुपयोग

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में गौहत्या संरक्षण कानून का निर्दोष लोगों के खिलाफ दुरुपयोग हो रहा है। जब कभी कोई मांस बरामद होता है तो बिना जांच उसको गौमांस करार दे दिया जाता है। निर्दोष व्यक्ति को उस अपराध के लिए जेल भेज दिया जाता है, जो शायद उसने किया ही नहीं है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने यह टिप्पणी गौहत्या कानून के तहत जेल में बंद रहमू उर्फ रहीमुद्दीन की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए की। हाई कोर्ट ने कहाöजब कोई गौवंश बरामद किया जाता है तो रिकवरी मोर्चा तैयार नहीं किया जाता। किसी को पता नहीं हो पाता कि बरामदगी के बाद गौवंश को कहां ले जाया जाएगा। कोर्ट ने कहाöगौ संरक्षण गृह और गौशाला बूढ़े और दूध न देने वाले पशुओं को नहीं लेते हैं। इनके मालिक भी इनको खिला पाने में सक्षम नहीं हैं। वह पुलिस और स्थानीय लोगों द्वारा पकड़े जाने के डर से इनको किसी दूसरे राज्य में ले नहीं जा सकते। इसके साथ ही कोर्ट ने छुट्टा जानवरों की देखभाल की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहाöप्रदेश में गौहत्या अधिनियम को उसकी सही भावना के साथ लागू करने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि ज्यादातर मामलों में बरामद मांस फोरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजा जाता। आरोपी को उस अपराध में जेल जाना होता है जिसमें सात साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही ऐसे मामलों की सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा ही की जाती है। -अनिल नरेन्द्र

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