Friday 27 November 2020

सुरंगों से घुसते पाकिस्तानी आतंकी

जम्मू संभाग के सांबा जिले में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे गांव रिगाल में एक सुरंग का पता लगाकर पाकिस्तानी साजिश का पर्दाफाश किया गया है। यह सुरंग 150 मीटर लंबी है। इसे बीएसएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के गश्ती दल ने खोजा है। दावा किया जा रहा है कि इसी सुरंग से तीन दिन पहले नगरोटा के बन टोल प्लाजा में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकी आए थे। 19 नवम्बर को नगरोटा के बन टोल प्लाजा में मारे गए आतंकियों से मिले स्मार्टफोन और सैटेलाइट फोन को खंगाला गया तो इनकी लोकेशन का सही पता चला। डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि चारों आतंकी 18 नवम्बर की रात करीब 8ः30 बजे भारतीय सीमा में घुसे थे। करीब 12ः30 बजे जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर जतवाल पहुंचे, जो सीमा से करीब आठ किलोमीटर दूर है, वहां से ट्रक में सवार हुए। लोकेशन से सारी तस्वीर साफ होने के बाद पुलिस ने बीएसएफ के अधिकारियों को सूचित किया। इसके बाद सरहद से सटे गांवों को खंगाला गया और दोपहर करीब 12 बजे रिगाल गांव पुलिस ने एक जवान को सुरंग के भीतर भेजा। सुरंग का एक मुहाना भारतीय क्षेत्र में है, जिसका व्यास तीन फुट है, दूसरा मुहाना पाकिस्तान की तरफ है। सामने पाकिस्तान की भूरा चक्क चौकी है। सुरंग के अंदर की गोलाई, इसके लिए सुरंग के दोनों तरफ लकड़ी के फट्टे लगाए गए हैं। ऐसा लगता है कि सुरंग का निर्माण कुशल इंजीनियरों ने किया है, ताकि हमेशा इसका इस्तेमाल घुसपैठ के लिए किया जा सके। यह सुरंग जमीनी सतह से करीब 25 फुट नीचे है। इसके अंदर फट्टों के अलावा पॉलिथीन शीट्स का भी प्रयोग किया गया है ताकि इसमें बरसात के दिनों में पानी का रिसाव न हो। यह सुरंग हाल में ही बनाई गई है। सुरंग के मुहाने पर मिट्टी व रेत से भरी बोरियां लगाई गई हैं। बोरियों पर एग्रो और सब्ज एग्रो बैग यूरिया खाद मैन्युफेक्चर्ड इन पाकिस्तान उर्दू में लिखा है। कुछ पर कासिम कराची केमिकल भी लिखा है। सूत्रों के मुताबिक बन टोल प्लाजा में मारे गए आतंकी कमांडो ट्रेनिंग ले चुके थे। वह अमावस्या की रात पैदल ही बॉर्डर से हाइवे तक पहुंचे। इनके साथ गाइड होने की बात से भी सुरक्षा अधिकारियों ने इंकार नहीं किया है। 31 जनवरी को तड़के बन टोल प्लाजा में मारे गए तीन आतंकी भी अमावस्या की रात को बॉर्डर से हाइवे पहुंचे थे। मसूद अजहर का भाई और जैश कमांडर रऊफ लाला पल-पल की जानकारी ले रहा था। उस समय उसके साथ कारी जरार और कासिम जान उनके हैंडलरों की भूमिका निभा रहे थे। बता दें कि पहले भी मिल चुकी हैं सुरंगें। 28 जुलाई 2012 नजवाल, सांबा, 23 अगस्त 2014 चौआता अखनूर, तीन मार्च 2016 आरएस पुरा। 30 सितम्बर 2017 अरनिया और 28 अगस्त 2020 वैनगलाड सांबा सेक्टर। आतंकियों की ट्रेनिंग से लेकर उनकी लांचिंग का पूरा जिम्मा पाक सेना के पास है। सुरंग को लंबे समय तक आतंकियों के इस्तेमाल के लिए बनाया गया, ताकि घुसपैठ को आसान बनाया जा सके, दिलबाग सिंह, डीजीपी। -अनिल नरेन्द्र

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