Saturday, 21 November 2020

दिल्ली वालों ने खुद पैदा किए यह गंभीर हालात

राजधानी में कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। दिल्ली में कोरोना संक्रमण से पहली बार एक दिन में 131 लोगों की मौत दर्ज हुई है। जबकि 7486 नए मरीज मिले हैं। दिल्ली में यह कोरोना का तीसरा पीक है। इससे पहले जून में पहला और सितम्बर में दूसरा पीक आया था। पहले पीक के दौरान दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई थीं। उस दौरान पुराना रिकॉर्ड देरी से मिलने के चलते यह आंकड़ा ज्यादा मिल रहा था, लेकिन तीसरा पीक आते-आते रोजाना होने वाली मौतों से पिछले एक दिन का आंकड़ा सबसे ज्यादा है। आंकड़ों के अनुसार देश में सबसे ज्यादा मौतें दिल्ली में दर्ज की जा रही हैं। स्थिति यह है कि पिछले 10 दिनों में कोरोना मरीजों की मौत के चलते मृत्युदर 1.48 प्रतिशत दर्ज की गई, जो बाकी राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है। राजधानी में कोरोना वायरस के बिगड़ते हालात को लेकर डॉक्टरों ने इसे काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बताई है। उनका कहना है कि दिल्ली ने खुद ऐसे हालात पैदा किए हैं। इसके जिम्मेदार लोग, सरकार और प्रशासन सभी हैं। इन हालात से बचने के लिए लॉकडाउन का विकल्प नहीं चुनना चाहिए। नई दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. एस. चटर्जी का कहना है कि दिल्ली में कोरोना के गंभीर हालात स्वयं पैदा हुए हैं। वह लॉकडाउन के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन मानते हैं कि इस स्थिति को बेहतर रणनीति के साथ सुधारा जा सकता है। भविष्य को लेकर पहले ही सतर्क रहना जरूरी है। आईएलबीसी अस्पताल के निदेशक डॉ. एसके सरीन का कहना है कि इन हालात के लिए दिल्ली के लोग जिम्मेदार हैं। स्थिति सामान्य होने के बावजूद लोगों ने सतर्कता का पालन नहीं किया है। लॉकडाउन हटने के बाद लोगों को बेशक कभी कोरोना संक्रमण का अहसास नहीं हुआ। दुर्भाग्य से कहना पड़ता है कि लोग कोरोना के प्रति कतई गंभीर नहीं हैं। दिल्ली में इस वक्त 33 से अधिक बड़े प्राइवेट अस्पताल हैं, जो कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं। इन अस्पतालों में भी आईसीयू बिस्तरों की अब किल्लत होने लगी है। अब हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह दे रहे हैं कि कोरोना से बचाव में सरकार से ज्यादा पब्लिक की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है। सरकार अपनी तरफ से प्रयास कर रही है, लेकिन लोग बेखौफ बाहर घूम रहे हैं, न तो मास्क पहन रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ही पालन कर रहे हैं। फेस्टिव सीजन से पहले तक लोग सावधानी बरत रहे थे लेकिन फेस्टिव सीजन आने पर काफी लापरवाही देखी गई जिसके चलते अब केस बढ़ रहे हैं। सरकार इलाज दे सकती है। बेड-आईसीयू की व्यवस्था कर सकती है लेकिन इन चीजों की जरूरत ही न पड़े, इस बात का ख्याल तो लोगों को रखना पड़ेगा। लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है। सावधानी बरतनी जरूरी है। मास्क से काफी हद तक कोरोना से बचा जा सकता है इसलिए मास्क लगाना बेहद जरूरी है। मार्केटों में भीड़ है और फिर जब केस बढ़ते हैं तो यही लोग कहते हैं कि सरकार कोरोना को कम करने के लिए कुछ नहीं कर रही। पहले हमें खुद की जिम्मेदारी समझनी होगी, उसके बाद ही कोरोना कम करने के लिए सरकार को कोसें। जब तक वैक्सीन नहीं आती, तब तक गलती से भी बिना मास्क बाहर न निकलें। भीड़भाड़ में न जाएं और समय-समय पर हाथ सैनिटाइज करें। सरकार सब कुछ नहीं कर सकती।

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