Tuesday, 17 November 2020
जनादेश महागठबंधन के साथ, ईसी का नतीजा एनडीए के साथ
बात 2010 की है। दिल्ली में रह रहे 21 साल के तेजस्वी यादव अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर बनने का सपना देख रहे थे। लेकिन बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपने पिता की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की मदद के लिए पटना आ गए। पटना से दूर रहे तेजस्वी के लिए राजनीति नई नहीं थी, लेकिन वह धीरे-धीरे सही मायनों में राजनीति सीख रहे थे। 2010 विधानसभा चुनाव में राजद के खराब प्रदर्शन के बाद तेजस्वी वापस दिल्ली लौट गए। लेकिन क्रिकेट में भी उनकी दाल कुछ खास नहीं गल रही थी। क्रिकेट जानकारों के मुताबिक बिहार की खुद की कोई टीम नहीं होने के कारण तेजस्वी को खेलने का सही अवसर कभी नहीं मिला। मध्यक्रम के बल्लेबाज और ऑफ स्पिनर गेंदबाज तेजस्वी यादव का मन दिल्ली और पटना के बीच झूल रहा था। हाल ही में सम्पन्न हुए बिहार विधानसभा चुनावों में भले ही महागठबंधन बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सका हो, लेकिन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद ने 75 सीटें जीती हैं। लोग उन्हें अब राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी मान रहे हैं और उनकी कप्तानी स्वीकार कर रहे हैं। तेजस्वी ने इन चुनावों में साबित कर दिया कि वह अपने पिता की छाया से बाहर आ चुके हैं और उन्होंने अपनी लीडरशिप स्थापित कर ली है। बात करें बिहार विधानसभा चुनाव की तो तेजस्वी यादव ने बृहस्पतिवार को विपक्षी पार्टी महागठबंधन दल के नेता चुनने के बाद उन्होंने कहा कि एनडीए ने चुनावों में छल से जीत हासिल की है। प्रेसवार्ता में नीतीश कुमार का मजाक उड़ाते हुए तेजस्वी यादव ने कहा की सीएम की पार्टी जदयू तीसरे पायदान पर रही है, हैरानी होती है कि इस स्थिति के बाद भी कैसे वह सीएम की कुर्सी पर बैठने की सोच रहे हैं। कोई अपने अंतर्मन की आवाज दबाकर सत्ता के लिए इतना लालायित रह सकता है। 2017 में जब हमारा नाम मनी लांड्रिंग के एक मामले में आया था तब नीतीश कुमार की आत्मा की आवाज सुनने का हवाला देकर महागठबंधन से इस्तीफा देकर वापस एनडीए का रुख किया था। आज जब उनकी पार्टी सीटों के मामले में तीसरे स्थान पर है क्या अब उनकी आत्मा की आवाज कुछ नहीं कह रही। तेजस्वी ने कहा कि जनता का जनादेश महागठबंधन को ही मिला है। पर चुनाव आयोग का नतीजा एनडीए के पक्ष में आया है। तेजस्वी ने नीतीश पर भी तंज कसा, हम लोग रोने वाले नहीं, संघर्ष करने वाले हैं। जो पार्टी (जदयू) चेहरा बदलने की बात करती थी, वह खुद तीसरे नम्बर पर आ गई है। नीतीश कुमार में नैतिकता नहीं बची है, अगर थोड़ी-सी भी नैतिकता बची है तो उन्हें कुर्सी छोड़ देनी चाहिए। वह जोड़-तोड़, गुणा-भाग करके कुर्सी पाने की जुगत में लगे हैं। तेजस्वी ने कहा कि एनडीए चोर दरवाजे से सरकार बना रही है। भाजपा साफतौर पर समझ ले कि जनादेश बदलाव का जनादेश है। एनडीए का वोट शेयर 37.3 प्रतिशत है और महगठबंधन का वोट शेयर 37.2 प्रतिशत है, यानि प्वाइंट वन का अंतर है। इस अंतर को अगर वोटों में कनवर्ट करें तो 12 हजार 270 वोट होंगे। नीतीश ने बेरोजगारों को नौकरी देने में समर्थता जताई है। तेजस्वी ने कहा कि अगर कानूनी रूप से वोटों की गिनती होती तो महागठबंधन को 130 सीटें मिलतीं। अभी 110 सीटें मिली हैं जो जादुई आंकड़े 122 से 12 कम है। उन्होंने दो टूक कहा कि जनादेश महागठबंधन के साथ, ईसी का नतीजा एनडीए के साथ।
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